Hamara Hathras

18/04/2024 3:29 pm

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हम हैं शीशे से टूट जाएंगे,
तुम न आये तो रूठ जाएंगे,
कोशिशें कामयाब होती है-
वादे जितने हैं टूट जाएंगे।

मेरे सांचे में ढल के देख ज़रा,
दो क़दम साथ चल के देख ज़रा,
मेरे प्रोमिज का रंग पक्का है-
अपने गालों पे मल के देख ज़रा।

रचनाकार-कवि विष्णु सक्सेना 

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