सुरजीत मान जलईया सिंह की नई रचना ” प्रधान ”

पीठ पीछे जानता है क्या क्या कहते लोग हैं? सामने आता नहीं है कोई भी रघुराज के। जीतकर आया प्रधानी रोब थानेदार का। रोज दुगना बढ़ रहा है...

अवशेष मानवतावादी का गीत – फिर भी ईश्वर के होने का होता है अहसास

ना तो कोई भी सबूत है ना गवाह है पास। फिर ईश्वर भी के होने का होता है अहसास।। तोड़ तोड़कर कण को हमने कण कण में तोड़ा। फिर...

शिव कुमार ‘दीपक’ की बाल रचना

झूला लेकर आया सावन । हरियाली ले वर्षा आयी । बच्चों ने ली मन अंगड़ाई ।। दादुर पपिहा नाचे मोर । काली कोयल करे कनकोर ।। धानी चूँदर...

अकबर सिंह अकेला की एक कविता –

वर्षा झमझम हो रही, मौसम भी परवान। हवा निराली चल रही, पंछी गाउत गान।। दिन में अँधियारी झुकी, बिल्कुल रात समान। लुका छिपी बदरा करें, सूरज अंतर ध्यान।। सांय काल में लग...

यशोधरा यादव ‘यशो’का एक नवगीत

लेखनी कुछ गीत लिख दुःखित जन को प्रीति लिख . कामनाओं की लता जब पुष्प से सज्जित हुई यंत्रवत कर्मों से हटकर प्रीति प्रतिबिम्बत हुई छंद के...

कु० राखी सिंह शब्दिता की गजल

ग़ज़ल तुमको भी मुहब्बत है बता क्यूं नहीं देते । रस्मों को वफ़ाओं की निभा क्यूं नहीं देते ।। हंसकर के मुझे देते हैं वो दर्दे- जुदाई...

शिव कुमार ‘दीपक’ की कुंडलियां

पानी की महिमा बड़ी , पानी जग का सार । समझो वह बेकार है , जो ना पानीदार ।। जो ना पानीदार ,नदी,नल,सर, तरु,जलधर । करें नही...

‘आह का अनुवाद’ गीतकार – इन्द्रपाल सिंह “इन्द्र”

------आह का अनुवाद----- अश्रु की गंगा नयन से पीर ने जब-जब उतारी, याद आती है तुम्हारी....याद आती है तुम्हारी.... मौन साधा है अधर ने पूर्ण है पर...

मंदसौर घटना पर एक ज्वलन्त कविता अवशेष मानवतावादी द्वारा

मंदसौर घटना पर एक ज्वलन्त कविता ................................................... मंदसौर की घटना ने फिर से जनमानस हिला दिया। तार तार मानवता कर दी दानवता को खिला दिया।। आग क्रोध की...

यशोधरा यादव ‘यशो’ का नव गीत “सम्बोधनों के मौन”

हो गये हैं शब्द क्यों सम्बोधनों के मौन . खींचता नैराश्य जग में जिन्दगी को कौन. खिलखिलाहट हो गई गुजरे समय की बात , अब नहीं होती...

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