मंदसौर घटना पर एक ज्वलन्त कविता
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मंदसौर की घटना ने फिर से जनमानस हिला दिया।
तार तार मानवता कर दी दानवता को खिला दिया।।
आग क्रोध की लगी जहन में पीड़ा से है त्रस्त कलम।
बोलो घायल मानवता पर कौन लगाएगा मरहम।।
छोटी सी मासूम परी पर दुष्ट दरिंदे टूट पड़े।
मृतक समझ फेंका झाडी में जुल्म ढहाये बड़े बड़े।।
घटना की निंदा करने को शब्द गरजने लगते हैं।
और खून के आँसू लेकर दर्द बरसने लगते हैं।।
छोटी सी बच्ची ने पीड़ा जब अपनी ढोयी होगी।
अम्बर भी डकराया होगा धरती भी रोयी होगी।।
काँप गए होंगे सब तारे नदियाँ ठहर गयीं होंगी।
सागर के सीने में गम की लहरें उतर गयीं होंगी।।
नोंचा होगा बदन कली का, तब करुणा चीखी होगी।
उस अबोध नन्ही बच्ची पर जाने क्या बीती होगी।।
नभ में मडराती रूहों के कंधे डोल पड़े होंगे।
अरे बचाओ अरे बचाओ पत्थर बोल पड़े होंगे।।
जिसने भी परिदृश्य निहारा गुस्सा फूट पड़ा होगा।
बाँध धैर्य का एक पलक में सबका टूट पड़ा होगा।।
अपराधी अपराधी होता धर्म जाति से मत तोलो।
ऐसे बहसी दुष्ट भेड़ियों के खिलाफ खुलकर बोलो।।
कोई धर्म नहीं है इनका और न कोई मजहब है।
पापकर्म, करना दरिंदगी केवल इनका करतब है।।
एक बेटी के नहीं सिर्फ ये सभी बेटियों के दुश्मन।
कोस रहा है बार बार ऐसे दुष्टों को अंतर्मन।।
काट काट कर बोटी बोटी डालो इन्हें परिदों को।
धरती पर जिंदा मत छोड़ो ऐसे दुष्ट दरिंदों को।।
– अवशेष मानवतावादी (हाथरस)
मो. 9837024505