संजीव गौतम की ग़ज़लें
एक दरोगा है वो दुनिया का दरोगाई दिखाता है। जिसे चाहे बनाता है, जिसे चाहे मिटाता
अकबर सिंह अकेला की कविता पानी – पानी
पानी पानी नहिं रहा, पानी बना विशेष | मात भारती कौ भुवहिं, रूप कुरूपहिं भेष ||1||
माँ पर शिव कुमार ‘दीपक’ के मार्मिक दोहे
जननी करती उम्र भर , जीवन पथ आलोक । माँ के आगे क्षुद्र हैं , धरा,
कु० राखी सिंह शब्दिता द्वारा रचित सरस्वती वंदना
शारदे माँ शारदे तू , ज्ञान हम पर वार दे । दूर कर अज्ञान का तम,
होली पर शिव कुमार ‘दीपक’ की कलम ✍ से कुछ खास-
होली के रंग, दीपक के संग रंग पर्व अब देश में, लाये नई बहार । जले
प्रोमिस डे पर विष्णु सक्सेना की कलम से कुछ खास-
हम हैं शीशे से टूट जाएंगे, तुम न आये तो रूठ जाएंगे, कोशिशें कामयाब होती है-
टेडीबियर डे पर विष्णु सक्सेना की एक खास रचना-
हम अंधेरे नहीं उजाले हैं, आपके साथ रहने वाले हैं प्यार से बांह में भरो, हम
आज चॉकलेट डे पर प्रसिद्द कवि विष्णु सक्सेना की कविता
बुझ न पाए वो प्यास मत देना, कोई लम्हा उदास मत देना, घोल दे ज़िंदगी मे