सुरजीत मान जलईया सिंह की नई रचना ” प्रधान ”
पीठ पीछे जानता है क्या क्या कहते लोग हैं? सामने आता नहीं है कोई भी रघुराज
अवशेष मानवतावादी का गीत – फिर भी ईश्वर के होने का होता है अहसास
ना तो कोई भी सबूत है ना गवाह है पास। फिर ईश्वर भी के होने का
शिव कुमार ‘दीपक’ की बाल रचना
झूला लेकर आया सावन । हरियाली ले वर्षा आयी । बच्चों ने ली मन अंगड़ाई ।।
अकबर सिंह अकेला की एक कविता –
वर्षा झमझम हो रही, मौसम भी परवान। हवा निराली चल रही, पंछी गाउत गान।। दिन में
यशोधरा यादव ‘यशो’का एक नवगीत
लेखनी कुछ गीत लिख दुःखित जन को प्रीति लिख . कामनाओं की लता जब पुष्प से
कु० राखी सिंह शब्दिता की गजल
ग़ज़ल तुमको भी मुहब्बत है बता क्यूं नहीं देते । रस्मों को वफ़ाओं की निभा क्यूं
‘आह का अनुवाद’ गीतकार – इन्द्रपाल सिंह “इन्द्र”
——आह का अनुवाद—– अश्रु की गंगा नयन से पीर ने जब-जब उतारी, याद आती है तुम्हारी….याद
मंदसौर घटना पर एक ज्वलन्त कविता अवशेष मानवतावादी द्वारा
मंदसौर घटना पर एक ज्वलन्त कविता …………………………………………… मंदसौर की घटना ने फिर से जनमानस हिला दिया।
यशोधरा यादव ‘यशो’ का नव गीत “सम्बोधनों के मौन”
हो गये हैं शब्द क्यों सम्बोधनों के मौन . खींचता नैराश्य जग में जिन्दगी को कौन.