अष्टमी पर जेसीआई विक्ट्री द्वारा भव्य डांडिया नाइट का आयोजन
हाथरस 01 अक्टूबर । नवरात्रि की अष्टमी के पावन अवसर पर जेसीआई विक्ट्री की प्रेसिडेंट ममता वार्ष्णेय, सेक्रेटरी रुचि खंडेलवाल और ट्रेज़रर संध्या उपाध्याय के नेतृत्व में भव्य डांडिया नाइट का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में महिलाओं ने रंग-बिरंगे परिधानों और मनमोहक संगीत की धुनों पर देर रात तक उत्साहपूर्वक
नवरात्रि पर इनरव्हील क्लब ऑफ हाथरस जागृति ने कंजक पूजन कर बच्चों को उपहार भेंट किए
हाथरस 01 अक्टूबर । नवरात्रि के शुभ अवसर पर अष्टमी के दिन इनरव्हील क्लब ऑफ हाथरस जागृति द्वारा मां भगवती को सुंदर पोशाक एवं श्रृंगार अर्पित किया गया। अलीगढ़ रोड स्थित पंजाबी कॉलोनी के दुर्गा मंदिर परिसर में आयोजित कार्यक्रम में कंजक पूजन कर बालिकाओं को उपहार, वस्त्र, फल एवं
उठावनी : श्री विशन लाल जी अग्रवाल
अत्यन्त दुख के साथ सूचित किया जाता है कि हमारे पूज्य पिताजी श्री विशन लाल जी अग्रवाल का बैकुण्ठगमन दिनांक 5 अगस्त 2025 दिन मंगलवार को हो गया है । परमपिता परमात्मा के चरणों में उनकी समाविष्ट होने की प्रार्थना सहित उठावनी (महिला एवं पुरूष) बुधवार, 6 अगस्त 2025 समय
हाथरस से जाने वाली बसों का टाइम टेबल
हाथरस से जाने वाली बसों का टाइम टेबल कहाँ से – कहाँ तक वाया टाइम हाथरस से नोएडा यमुना एक्सप्रेससवे 5:30, 6:00, 6:30, 7:00 हाथरस से नोएडा यमुना एक्सप्रेससवे 12:30, 13:00, 16:00 हाथरस से दिल्ली अलीगढ, खुर्जा 4:30, 5:00. 5:30, 6:00. 8:00 बल्लभगढ़ इगलास, गौड़ा 6:00, 6:30
सुरजीत मान जलईया सिंह की नई रचना ” प्रधान ”
पीठ पीछे जानता है क्या क्या कहते लोग हैं? सामने आता नहीं है कोई भी रघुराज के। जीतकर आया प्रधानी रोब थानेदार का। रोज दुगना बढ़ रहा है कद भी अब किरदार का। छटपटाती है खजूरी बोलती कुछ भी नहीं जैसे पंजों में फंसी हो एक चिड़िया बाज़ के। सामने
अवशेष मानवतावादी का गीत – फिर भी ईश्वर के होने का होता है अहसास
ना तो कोई भी सबूत है ना गवाह है पास। फिर ईश्वर भी के होने का होता है अहसास।। तोड़ तोड़कर कण को हमने कण कण में तोड़ा। फिर कण के टूटे कण कण को आपस में जोड़ा।। तत्व तत्व में छिपे तत्व का सारा तत्व निकाला, धरती क्या अम्बर
शिव कुमार ‘दीपक’ की बाल रचना
झूला लेकर आया सावन । हरियाली ले वर्षा आयी । बच्चों ने ली मन अंगड़ाई ।। दादुर पपिहा नाचे मोर । काली कोयल करे कनकोर ।। धानी चूँदर ओढ़े धरती । रिमझिम रिमझिम बरसा बरसी । छुक – छुक बच्चे रेल चलाते । हँसते गाते खूब नहाते ।। नदिया पोखर
अकबर सिंह अकेला की एक कविता –
वर्षा झमझम हो रही, मौसम भी परवान। हवा निराली चल रही, पंछी गाउत गान।। दिन में अँधियारी झुकी, बिल्कुल रात समान। लुका छिपी बदरा करें, सूरज अंतर ध्यान।। सांय काल में लग रहा, कबहुं न बरसो नीर | धूप खिली राहत मिली, बदलो रुखहिं समीर || अकबर सिंह अकेला मानिकपुर,
यशोधरा यादव ‘यशो’का एक नवगीत
लेखनी कुछ गीत लिख दुःखित जन को प्रीति लिख . कामनाओं की लता जब पुष्प से सज्जित हुई यंत्रवत कर्मों से हटकर प्रीति प्रतिबिम्बत हुई छंद के स्वर्णिम सवेरों की नयी रणनीति लिख लेखनी………… सूखते संबंध की टहनी पर कलियां खिल उठें बैठे जो अनजान बन मन मीत बन मिल
कु० राखी सिंह शब्दिता की गजल
ग़ज़ल तुमको भी मुहब्बत है बता क्यूं नहीं देते । रस्मों को वफ़ाओं की निभा क्यूं नहीं देते ।। हंसकर के मुझे देते हैं वो दर्दे- जुदाई ; ज़ख्मों की मगर मुझको दवा क्यूं नहीं देते ।। आँखों में कहीं दर्द समन्दर सा है गहरा ; जी भर के मुझे









