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लखनऊ 01 दिसंबर । उत्तर प्रदेश पुलिस सेवा की वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी तिलोत्तमा वर्मा हाल ही में सेवानिवृत्त हो गई। तिलोत्तमा वर्मा यूपी कैडर के 1990 बैच की अधिकारी थीं। तिलोत्तमा वर्मा को यूपी पुलिस में जांबाज, सुधारक और वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त अधिकारी के रूप में याद किया जाता है। उन्होंने जांच, संस्थागत सुधार और वैश्विक नीति नेतृत्व में अपनी अलग पहचान बनाई। तिलोत्तमा वर्मा का जन्म वर्ष 1965 में हिमाचल प्रदेश के शिमला में हुआ। 1990 में उन्होंने आईपीएस सेवा ज्वाइन की और जल्द ही यूपी की अग्रणी महिला पुलिस अधिकारियों में शामिल हो गईं। उनका साहसिक कार्य आज भी याद किया जाता है। वर्ष 2002 में हाथरस में एक मुठभेड़ के दौरान उन्होंने दो बच्चों को एक हाथ में उठाकर अपराधियों का सामना किया था। इसी साहस के लिए उन्हें यूपी की पहली महिला आईपीएस के रूप में राष्ट्रपति पुलिस पदक (वीरता) प्राप्त हुआ। डीजी एडीजी भानु भास्कर ने बताया कि तिलोत्तमा वर्मा जांच-कौशल, सिस्टमिक सुधार और वैश्विक पर्यावरण नीति नेतृत्व की मिसाल हैं। उन्होंने लखनऊ की खुफिया इकाइयों, वाराणसी, शाहजहांपुर, झांसी, टिहरी गढ़वाल, हाथरस और सुल्तानपुर में महत्वपूर्ण फील्ड पोस्टिंग संभाली। दो पीएसी बटालियनों की कमांडेंट और हैदराबाद स्थित एसवीपीएनपीए में सहायक एवं उपनिदेशक पद पर कार्य कर चुकीं।

वर्ष 2006–2011 तक डीआईजी (एंटी-करप्शन), सीबीआई के रूप में उन्होंने कई महत्वपूर्ण मामलों की निगरानी की और निष्पक्षता व सख्त निर्णयों के लिए जानी गईं। तिलोत्तमा वर्मा को वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (WCCB) में आईजी के रूप में कार्य करते हुए वैश्विक मान्यता मिली। उन्होंने कई बड़े बाघ-शिकार गिरोहों का सफाया किया और संयुक्त अभियान चलाकर बाघों की संख्या में सुधार किया। उन्हें कलार्क आर बेविन वाइल्डलाइफ लॉ इन्फोर्समेंट अवार्ड, तीन बार एशिया एनवायरमेंटल इंफोर्समेंट अवार्ड और यूएन पीसकीपिंग मेडल सहित कई सम्मान मिल चुके हैं। वर्ष 2024 में डीजी (ट्रेनिंग) के रूप में उन्होंने पुलिस प्रशिक्षण में पाठ्यक्रम आधुनिकीकरण, लैंगिक संवेदनशीलता, वैज्ञानिक पुलिसिंग और व्यवहारिक प्रशिक्षण में सुधार किए। तिलोत्तमा वर्मा ने शिमला में अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी की, अंग्रेजी साहित्य में बीए ऑनर्स और एलएलबी की पढ़ाई की। उन्होंने 1990 में यूपीएससी क्रैक किया और यूपी कैडर में शामिल हुईं। 2005 में डीआईजी, 2010 में आईजी, 2014 में एडीजी और 2024 में डीजी पद पर प्रमोट हुईं। वह सेवा के दौरान शिक्षण मुख्यालय में महानिदेशक पद पर कार्यरत थीं और उनका नाम एक समय प्रदेश के डीजीपी पद के लिए चर्चा में भी रहा। उनकी बहुआयामी सेवाओं, साहसिक कार्यों और संस्थागत सुधारों ने यूपी पुलिस में महिलाओं के नेतृत्व और आधुनिक पुलिसिंग के क्षेत्र में मिसाल कायम की है।

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