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मथुरा 25 सितंबर । मनुष्य की सभी शक्तियों का स्रोत उसका मन है। मन की स्थिरता और शुद्धता से संकल्प को दृढ़ता प्राप्त होती है। इसके विपरीत मन की चंचलता विनाश को आमंत्रण देती है। जब तक मन को नहीं जीता जाता तब तक राग और द्वेष शांत नहीं होते। यह सारगर्भित बातें चंद्रोदय मंदिर के परम पूज्य अनिरुद्ध बलराम प्रभुजी और प्रिया सखी माताजी द्वारा राजीव एकादमी फॉर फार्मेसी में “मन पर नियंत्रण की कला” विषय पर आयोजित विचारोत्तेजक संगोष्ठी में छात्र-छात्राओं को बताईं।

परम पूज्य अनिरुद्ध बलराम प्रभुजी ने छात्र-छात्राओं को बताया कि मन की शक्ति से ही मनुष्य जीतता है और मन की दुर्बलता से ही हार जाता है। मन चेतन और अचेतन दोनों ही स्तरों पर व्यक्ति के सम्पूर्ण व्यवहार और व्यक्तित्व को प्रभावित करता है। मन को महान चित्रकार, जादूगर और ब्रह्म सृष्टि का तत्व भी कह सकते हैं, क्योंकि संकल्प के बिना सृष्टि नहीं हो सकती और मन के बिना संकल्प नहीं हो सकता। मन की स्थिरता और शुद्धता से संकल्प को दृढ़ता प्राप्त होती है। इसके विपरीत मन की चंचलता विनाश को आमंत्रण देती है। जब तक मन को जीता नहीं जाता, तब तक राग और द्वेष शांत नहीं होते।

आध्यात्मिक विकास और व्यक्तिगत विकास में रुचि रखने वाले फार्मेसी के छात्र-छात्राओं से परम पूज्य अनिरुद्ध बलराम प्रभुजी ने आध्यात्मिक साधनाओं के माध्यम से मानसिक शक्ति का दोहन और आंतरिक शांति प्राप्त करने पर गहन शिक्षाएं साझा कीं। प्रिया सखी माताजी ने संतुलित जीवन के लिए सचेतनता विकसित करने और विचार-प्रणालियों को नियंत्रित करने की तकनीकों पर प्रकाश डाला। संगोष्ठी में रोचक प्रश्नोत्तर सत्र भी आयोजित हुआ ताकि छात्र-छात्राएं मन पर नियंत्रण की कला में गहराई से उतर सकें।

राजीव एकेडमी फॉर फार्मेसी के निदेशक डॉ. हिमांशु चोपड़ा ने बताया कि इस संगोष्ठी का उद्देश्य छात्र-छात्राओं को अपने मन पर नियंत्रण करने, सद्भाव और आध्यात्मिक प्रगति को बढ़ावा देने के लिए समझ प्रदान करना था। डॉ. चोपड़ा ने बताया कि संगोष्ठी में व्यक्तिगत और आध्यात्मिक पूर्णता प्राप्त करने में मन पर नियंत्रण के महत्व पर प्रकाश डाला गया, जो आंतरिक परिवर्तन चाहने वाले उपस्थित लोगों के लिए एक प्रेरणा बन गया। छात्र-छात्राओं ने ज्ञानवर्धक चर्चा की सराहना की और समकालीन जीवन की चुनौतियों से निपटने के लिए मन पर नियंत्रण को प्रासंगिक माना।

आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल और प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल ने कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे आयोजनों से विद्यार्थियों के भटकाव पर नियंत्र पाया जा सकता है। डॉ. अग्रवाल ने कहा कि प्रत्येक इंसान का मन ही उसका मार्गदर्शक होता है। उन्होंने छात्र-छात्राओं का आह्वान किया कि हमेशा सकारात्मक सोचें तथा अपने चंचल मन को हमेशा एकाग्र रखने की कोशिश करें। संगोष्ठी की सफलता में प्रतीक्षा राजोरिया, पवन पांडेय, डॉ. मयंक कुलश्रेष्ठ, रामकुमार चौधरी, विभा, मनु शर्मा आदि का अहम योगदान रहा। संगोष्ठी का संचालन मनी सिंह ने किया।

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