
मुंबई 30 दिसंबर । साइबर अपराधियों ने मुंबई के अंधेरी वेस्ट में रहने वाली 68 वर्षीय महिला से 3.71 करोड़ रुपए की बड़ी ठगी को अंजाम दिया। आरोपियों ने खुद को मुंबई के कोलाबा पुलिस स्टेशन, CBI और अन्य केंद्रीय एजेंसियों का अधिकारी बताकर महिला को मानसिक दबाव में रखा और नकली ऑनलाइन कोर्ट सुनवाई तक करवाई। इस पूरे मामले में साइबर पुलिस ने गुजरात के सूरत से एक आरोपी को गिरफ्तार किया है, जिसके खाते में 1.71 करोड़ रुपए ट्रांसफर हुए थे। आरोपी ने यह खाता फर्जी कपड़ा कंपनी के नाम पर खुलवाया था, जिसके बदले उसे 6.40 लाख रुपए कमीशन मिला।
18 अगस्त से शुरू हुआ ठगी का खेल
18 अगस्त को महिला को एक फोन कॉल आया। कॉल करने वाले ने खुद को कोलाबा पुलिस स्टेशन का अधिकारी बताया और कहा कि महिला का बैंक खाता मनी लॉन्ड्रिंग केस में इस्तेमाल हो रहा है। साथ ही धमकी दी गई कि अगर किसी को जानकारी दी तो कानूनी कार्रवाई होगी। इसके बाद महिला से बैंक डिटेल्स ली गईं और कहा गया कि अब मामले की जांच CBI करेगी। साइबर ठगों ने महिला पर लगातार नजर रखी और उसे मानसिक रूप से डराए रखा।
फर्जी जस्टिस बनकर करवाई ऑनलाइन सुनवाई
एक आरोपी ने खुद को एस.के. जायसवाल बताया और वीडियो कॉल के जरिए महिला की मुलाकात एक ऐसे व्यक्ति से कराई, जिसने खुद को सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ बताया। इस नकली सुनवाई में महिला से निवेश और संपत्ति से जुड़े दस्तावेज मांगे गए। ठगों ने महिला से दो से तीन पेज का जीवन परिचय (निबंध) भी लिखवाया और बाद में कहा कि उसकी बेगुनाही पर विश्वास हो गया है और उसे जमानत दिला दी जाएगी।
दो महीनों में पौने चार करोड़ ट्रांसफर
महिला ने डर और दबाव में आकर करीब दो महीनों में अलग-अलग खातों में 3.71 करोड़ रुपए ट्रांसफर कर दिए। जब लंबे समय तक कोई कॉल नहीं आया, तब महिला को ठगी का अहसास हुआ और उसने वेस्ट रीजन साइबर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई।
म्यूल अकाउंट से जुड़ा अंतरराष्ट्रीय रैकेट
जांच में सामने आया कि पैसा कई म्यूल अकाउंट्स में ट्रांसफर किया गया था। इनमें से एक खाता सूरत का निकला। गिरफ्तार आरोपी ने पूछताछ में बताया कि इस रैकेट के दो मास्टरमाइंड विदेश में बैठे हैं, जिनमें से एक इमिग्रेशन और वीजा सर्विस का बिजनेस करता है।













