Hamara Hathras

Latest News

लखनऊ 03 नवंबर । जीएसटी में फर्जी पंजीकरण कर सरकार को अरबों रुपये का चूना लगाने वाले जालसाजों के बड़े नेटवर्क को जीएसटी और खुफिया एजेंसियों ने बेनकाब किया है। खुलासे में सामने आया है कि यह सिंडीकेट बिजली बिल, पैन कार्ड, आधार कार्ड और रजिस्ट्री जैसे संवेदनशील दस्तावेजों को फोटोशॉप की मदद से फर्जी बनाकर नए जीएसटी पंजीकरण करा रहा था। इस नेटवर्क की जड़ें पूरे देश में फैली हैं और जांच में ऐसे फर्जी रजिस्ट्रेशन 23 राज्यों में मिले हैं।

अधिकारियों ने बताया कि अब तक पकड़ी गई करीब 80 प्रतिशत फर्जी फर्मों में मालिकों के नाम पर दर्ज दस्तावेज पूरी तरह असली लोगों के थे, लेकिन उन्हें इस अपराध की भनक तक नहीं थी। इंटरनेट या अन्य माध्यमों से उनकी स्कैन कॉपी हासिल कर उनमें फोटो और पता बदलकर नए दस्तावेज तैयार कर लिए जाते थे। इसके बाद उस पर फर्जी मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी डालकर रजिस्ट्रेशन करा दिया जाता था, जिससे सत्यापन प्रक्रिया भी फेल हो जाए। रजिस्ट्रेशन के तुरंत बाद जालसाज इन फर्मों के नाम पर फर्जी बिलिंग शुरू कर देते थे। बिना किसी वास्तविक माल आपूर्ति या सेवा के करोड़ों रुपये का कारोबार कागज़ों में दिखाया जाता था। इसके आधार पर इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का झूठा दावा कर सरकार से बड़ा राजस्व लाभ उठा लिया जाता था। असल में यह पूरा कारोबार सिर्फ कागज़ों पर चलता था और सरकार को भारी नुकसान होता था। उत्तर प्रदेश में पिछले एक वर्ष में राज्य कर (स्टेट जीएसटी) और केंद्रीय कर (सीजीएसटी) विभागों ने संयुक्त कार्रवाई कर 2,500 से अधिक फर्जी फर्मों का खुलासा किया है। इन फर्मों द्वारा लगभग 1,800 करोड़ रुपये से अधिक की कर चोरी का अनुमान है। केवल लखनऊ, नोएडा, कानपुर और वाराणसी जैसे औद्योगिक शहरों में ही 700 से ज्यादा फर्जी फर्में पाई गई हैं। जांच में सबसे ज्यादा जो दस्तावेज फर्जी पाए गए, उनमें बिजली बिल 60 प्रतिशत, आधार कार्ड 55 प्रतिशत, पैन कार्ड 50 प्रतिशत और संपत्ति रजिस्ट्री की फोटोकॉपी 40 प्रतिशत शामिल हैं। कई मामलों में जालसाजों ने बिना किसी भौतिक सत्यापन के पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन पूरी कर ली थी। मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य कर विभाग ने अब सभी जिलों में डिजिटल वेरिफिकेशन और फिजिकल इंस्पेक्शन को अनिवार्य कर दिया है। साथ ही जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) पोर्टल पर दस्तावेज अपलोड करते समय फेस ऑथेंटिकेशन और लाइव लोकेशन टैगिंग जैसे फीचर्स लागू किए जा रहे हैं। अधिकारियों के अनुसार यह अब सिर्फ टैक्स चोरी का मामला नहीं, बल्कि साइबर अपराध और डेटा सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन चुका है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Posts

You cannot copy content of this page