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इलाहाबाद 15 दिसंबर । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि पब्लिक गैंबलिंग एक्ट, 1867 की धारा 13 के तहत सड़क या सार्वजनिक स्थान पर जुआ खेलना संज्ञेय अपराध है। इसके लिए एफआईआर दर्ज करने और गिरफ्तारी करने के लिए मजिस्ट्रेट की अनुमति की आवश्यकता नहीं है। न्यायमूर्ति विवेक कुमार सिंह की एकल पीठ ने आगरा की विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में लंबित आपराधिक कार्रवाई पर रोक लगाने की याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जब किसी कानून में पुलिस अधिकारी को सीधे गिरफ्तारी का अधिकार दिया गया हो, तो वह अपराध संज्ञेय माना जाएगा। इसके अलावा, पुलिस सीआरपीसी की धारा 2(सी) के तहत मजिस्ट्रेट की पूर्व अनुमति के बिना एफआईआर दर्ज कर सकती है और मामले की जांच भी कर सकती है। यह मामला दिसंबर 2019 का है, जब आरोपी कामरान को सिंकदरा स्थित एक पार्क में कथित तौर पर ताश खेलते हुए गिरफ्तार किया गया था। उसके पास से 750 रुपये बरामद किए गए थे। आरोपी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी कि पुलिस ने मजिस्ट्रेट की अनुमति के बिना गिरफ्तारी की और एफआईआर दर्ज की, जबकि अधिकतम सजा एक माह की है। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि पुलिस अधिकारी बिना वारंट किसी भी ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकती है, जो पैसे के लिए जुआ खेलते पाए जाए। अदालत ने ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया कि वह तीन महीने के भीतर ट्रायल पूरा करे।

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