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लखनऊ 11 दिसंबर । प्रदेश सरकार निर्माण श्रमिकों के विकास और कल्याण को लेकर लगातार बड़े कदम उठा रही है। भवन एवं अन्य सन्निर्माण कार्यों से जुड़े श्रमिकों के सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने उत्तर प्रदेश भवन एवं सन्निर्माण (नियोजन तथा सेवाशर्त विनियमन) नियमावली लागू कर दी है और उत्तर प्रदेश भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड का गठन भी किया गया है। सरकार के इस अधिनियम के तहत 18 से 60 वर्ष तक के वे सभी श्रमिक, जो एक वर्ष में कम से कम 90 दिन निर्माण कार्य में लगे रहते हैं, पंजीयन के पात्र हैं। निर्माण कार्यों की सूची को विस्तारित करते हुए 40 से अधिक कार्यों को शामिल किया गया है। इसमें बेल्डिंग, बढ़ईगीरी, प्लम्बरिंग, राजमिस्त्री, इलेक्ट्रिक वर्क, कुएं की खुदाई, टाइल्स और मार्बल का काम, पुताई, सड़क निर्माण, मिक्सर मशीन चलाना, सुरक्षा गार्ड, चट्टान तोड़ने, सुरंग निर्माण, पत्थर काटने, ईंट-भट्ठा कार्य जैसी गतिविधियाँ शामिल हैं। श्रमिक पंजीयन प्रक्रिया भी सरल रखी गई है। श्रमिक को निर्धारित प्रारूप में आवेदन पत्र देना होता है, जिसमें ₹20 आवेदन शुल्क और ₹20 प्रथम वर्ष का अंशदान जमा करना होता है। चाहें तो एक बार में तीन वर्ष का अंशदान भी जमा किया जा सकता है। आवेदन के साथ दो पासपोर्ट साइज फोटो, आधार कार्ड, बैंक पासबुक और नियोजन प्रमाण पत्र अनिवार्य हैं। वहीं, अधिनियम के तहत 10 या उससे अधिक श्रमिकों के कार्यरत रहने वाले निर्माण स्थलों का पंजीकरण भी अनिवार्य किया गया है। इसके अतिरिक्त, 10 लाख रुपये से अधिक लागत वाले रिहायशी भवन निर्माण पर भी अधिनियम के प्रावधान लागू होंगे। अधिनियम के अनुसार भवन निर्माण की कुल लागत का 1 प्रतिशत उपकर लिया जाएगा, जिसे पंजीकृत श्रमिकों के हित में योजनाओं पर खर्च किया जाता है। प्रदेश सरकार वर्तमान में निर्माण श्रमिकों के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाएं संचालित कर रही है। इनमें मातृत्व, शिशु व बालिका मदद योजना, गंभीर बीमारी सहायता योजना, कन्या विवाह योजना, कौशल विकास प्रशिक्षण, महात्मा गांधी पेंशन योजना, आवासीय विद्यालय योजना, संत रविदास शिक्षा सहायता योजना और आपदा राहत सहायता योजना शामिल हैं। इन योजनाओं के माध्यम से सरकार लाखों श्रमिकों और उनके परिवारों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने का प्रयास कर रही है।सरकार का कहना है कि इन योजनाओं का उद्देश्य निर्माण क्षेत्र के श्रमिकों के जीवन स्तर में गुणात्मक सुधार लाना और प्रत्येक श्रमिक परिवार को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना है।

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