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अलीगढ़ 06 दिसंबर ।  मंगलायतन विश्वविद्यालय के आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ (आईक्यूएसी) द्वारा “सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स (एसडीजी) और उच्च शिक्षण संस्थानों की भूमिका” विषय पर विशेषज्ञ व्याख्यान का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम विश्वविद्यालय की संकाय क्षमता विकास पहल के अंतर्गत आयोजित हुआ। जिसका उद्देश्य उच्च शिक्षण संस्थानों में सतत विकास लक्ष्यों के प्रति जागरूकता बढ़ाना और उन्हें शिक्षण, शोध तथा सामुदायिक सहभागिता में प्रभावी रूप से एकीकृत करने पर बल देना था। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्वलित करके किया गया। डीन एकेडमिक प्रो. राजीव शर्मा ने स्वागत भाषण में अतिथि परिचय दिया। आईक्यूएसी के निदेशक प्रो. राजेश उपाध्याय ने आईक्यूएसी के उद्देश्य, योजनाओं एवं उनके क्रियान्वयन पर विस्तार से प्रकाश डाला। डा. सोनी सिंह ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में जेसी बोस यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, वाईएमसीए, फरीदाबाद, हरियाणा के प्रख्यात शिक्षाविद प्रो. संदीप ग्रोवर ने विचार प्रकट किए। उन्होंने विस्तार से बताया कि उच्च शिक्षण संस्थान किस प्रकार एसडीजी को अपनी शैक्षणिक और संस्थागत प्रक्रियाओं में शामिल कर सतत विकास को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। 2015 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा अपनाए गए 17 सतत विकास लक्ष्य वर्तमान और भविष्य के लिए एक परिवर्तनकारी साझा खाका हैं। ये लक्ष्य, अपने 169 उप-लक्ष्यों के साथ शांति और समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय आयामों को एकीकृत और संतुलित करते हैं। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों की जिम्मेदारी केवल ज्ञान प्रदान करना ही नहीं, बल्कि ऐसे वैश्विक दृष्टिकोण वाले, उत्तरदायी और नवोन्मेषी स्नातक तैयार करना भी है, जो सतत विकास को गति दें। कार्यक्रम के अध्यक्ष कुलपति प्रो. पीके दशोरा ने एसडीजी के अनुरूप विश्वविद्यालय की वर्तमान प्रतिबद्धताओं और भविष्य की योजनाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स जो अभी पृथ्वी पर है उनके साथ आने वाली पीढ़ियों के लिए बहुत महत्व रखता है। प्रो. रविकांत, प्रो. अब्दुल वदूद, प्रो. आरके शर्मा, प्रो. सिद्धार्थ जैन, प्रो. अनुराग शाक्य, प्रो. प्रमोद कुमार, डा. लव मित्तल, डा. हैदर अली, डा. जितेंद्र सिंह आदि संकायाध्यक्ष, निदेशक, प्राध्यापकों ने व्याख्यान को बौद्धिक रूप से समृद्ध और प्रेरणादायी बताया। आभार व्यक्त प्रो. दीपशिखा सक्सेना ने किया। संचालन डा. दीपमाला ने किया।

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