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अलीगढ़ 26 सितम्बर । मंगलायतन विश्वविद्यालय के कृषि विभाग के तत्वावधान में “रीसेंट एडवांसेस इन एग्रीकल्चरल साइंसेज” (कृषि विज्ञान में अग्रिम विकास) विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का भव्य आयोजन हुआ। इस अवसर पर देशभर से कृषि क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों, शिक्षाविदों और विद्यार्थियों ने भाग लिया। संगोष्ठी के मुख्य अतिथि केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी  रहे। विशिष्ट अतिथि के रूप में डीडी किसान के निदेशक नरेश सिरोही, एमएलसी ऋषि पाल सिंह और मंविवि के चेयरमैन हेमंत गोयल, कुलपति प्रो. पीके दशोरा उपस्थित रहे। कुलसचिव ब्रिगेडियर समरवीर सिंह ने अतिथि परिचय कराया।
मुख्य अतिथि भागीरथ चौधरी ने अपने संबोधन में कहा कि किसान को ईश्वर तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन वह ईश्वर से कम भी नहीं है। किसान के कार्य की न कोई आयु सीमा होती है और न ही कोई समय सीमा। वह धरती को चीरकर अन्न उपजाता है और पूरे देश का पेट भरता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि लाल बहादुर शास्त्री के समय जब देश में अन्न की कमी हुई तो लोगों ने एक दिन का उपवास रखा था। आज हम इस स्थित में हैं कि अन्न का निर्यात करते हैं। यह इस बात का प्रमाण है कि भारत का अस्तित्व किसान के परिश्रम से जुड़ा है। उन्होंने कहा कि आने वाला समय नई तकनीकी खेती का होगा। भारत यदि विकसित होगा तो उसके साथ किसान भी विकसित होगा। इसलिए आवश्यक है कि किसान नई तकनीकों को अपनाएं और समय के साथ कृषि को आधुनिक दिशा दे।
विशिष्ट अतिथि डीडी किसान के निदेशक नरेश सिरोही ने कहा कि विज्ञान से पहले दर्शन और दर्शन के बाद व्यवहार आता है। भारत में कृषि का दर्शन लगभग दस हजार साल पुराना है। कृषि की सैद्धांतिक पद्धति को समझना जरूरी है, तभी व्यवहार में उसका सही रूप सामने आ सकता है। उन्होंने कहा कि कृषि प्रणाली ऐसी होनी चाहिए जो किसी भी पर्यावरण के लिए नुकसानदायक न बने। यही सच्चे अर्थों में कृषि विज्ञान है।
कुलपति प्रो. पीके दशोरा ने कहा कि कृषि में फार्मिंग सिस्टम आ रहा है और इसका प्रयोग व्यापक स्तर पर किया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि कृषि शिक्षा में लगातार नवाचार किए जा रहे हैं। भारत के पास इतनी कृषि योग्य भूमि और उर्वरक मिट्टी है कि वह पूरे विश्व का पेट भर सकती है। यदि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से कृषि की जाए तो यह न केवल सबसे अच्छा व्यवसाय है, बल्कि मानवता के लिए उपकारक भी है।
संगोष्ठी के दौरान विभागाध्यक्ष प्रो. प्रमोद कुमार, डा. वेदरत्न और डा. संजय सिंह ने विषय से संबंधित अपने विचार प्रस्तुत किए। आभार व्यक्त डीन एकेडमिक प्रो. राजीव शर्मा ने किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. आकांक्षा सिंह और एंजेला फातिमा ने किया। इस अवसर पर प्रो. रविकांत, प्रो. राजीव शर्मा, गोपाल राजपूत, प्रो. महेश कुमार, डा. पूनम रानी, डा. केके पटेल, डा. रोशन लाल, डा. विपिन कुमार, डा. मयंक प्रताप, डा. पवन कुमार, डा. प्रत्यक्ष पांडेय, पंकज आदि उपस्थित थे।

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