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मथुरा 18 सितंबर । के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल में डिजिटल डेंटल फोटोग्राफी, इम्प्लांट्स में लोडिंग प्रोटोकॉल और डेंटल इम्प्लांट्स में जटिलताओं तथा विफलताओं पर दो दिवसीय निरंतर दंत शिक्षा कार्यक्रम का आयोजन किया गया। आयोजित की गई। सी.डी.ई. में येनेपोया डेंटल कॉलेज के उप प्राचार्य डॉ. हसन सरफराज ने स्नातक तथा परास्नातक छात्र-छात्राओं को बताया कि दंत चिकित्सा क्षेत्र सूक्ष्म संरचनाओं से बना है, जिन्हें रोगी शिक्षा, अभिलेखों और उपचार के दस्तावेजीकरण, व्याख्यानों का चित्रण, प्रकाशन और जटिल मामलों की वेब कनेक्टिविटी के लिए विस्तृत तरीके से रिकॉर्ड किया जाना जरूरी है। पियरे फोचार्ड अकादमी, भारत अनुभाग के सहयोग से आयोजित दो दिवसीय सी.डी.ई. में लगभग 100 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम के पहले दिन दंत फोटोग्राफी के मूल सिद्धांतों पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिसमें छात्र-छात्राओं को नैदानिक मामले के प्रलेखन के सैद्धांतिक ज्ञान और विभिन्न अंतर-मौखिक और बाह्य दृश्यों को पकड़ने के लिए डीएसएलआर कैमरे के संचालन में व्यावहारिक कौशल से लैस किया गया। डॉ. हसन सरफराज ने भावी दंत चिकित्सकों को बताया कि फोटोग्राफी और दंत चिकित्सा, दांतों और गुहा के अन्य भागों में छिपे और अनदेखे दोषों को उजागर करने का सबसे बेहतर माध्यम है।

डॉ. हसन सरफराज ने बताया कि हर तस्वीर में दंत चिकित्सकों द्वारा कोरियोग्राफ की गई मुस्कान के बिना अभिव्यक्ति की गुणवत्ता का अभाव होता है और डिजिटल सिस्टम के आगमन के कारण किसी विशेष रोगी में पैथोलॉजी के साथ-साथ की जाने वाली प्रक्रिया के बारे में छोटे विवरणों को रिकॉर्ड करना आसान हो गया है। उन्होंने कहा कि उचित निदान के लिए रोगी के डेटा में बार-बार अंतर्दृष्टि की आवश्यकता होती है और यह डिजिटल कैमरों द्वारा ही सम्भव हो पाया है।

डॉ. सरफराज ने बताया कि डिजिटल कैमरों में पारम्परिक फोटोग्राफी की तुलना में कई फायदे हैं। डिजिटल तकनीक ने डेटा संग्रह, शिक्षा और उपचार पहलुओं के प्रति दंत चिकित्सक के दृष्टिकोण को बदल दिया है। इंट्राओरल कैमरे सेकेंडों में विभिन्न कोणों से दांत या मौखिक गुहा में विभिन्न घावों की छवि कैप्चर कर लेते हैं। उन्होंने बताया कि एक अच्छी डिजिटल डेंटल तस्वीर प्राप्त करने के लिए मानकीकरण बहुत महत्वपूर्ण है। निरंतर दंत शिक्षा के दूसरे दिन के सत्रों में प्रत्यारोपण लोडिंग प्रोटोकॉल को शामिल किया गया तथा दंत प्रत्यारोपण से जुड़ी सामान्य जटिलताओं और विफलताओं पर प्रकाश डाला गया।

के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल के डीन और प्राचार्य डॉ. मनेष लाहौरी ने बताया कि इस सीडीई का उद्देश्य भावी दंत चिकित्सकों को डिजिटल दंत फोटोग्राफी और इसके अनुप्रयोगों के साथ-साथ प्रत्यारोपण विज्ञान में महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि की व्यापक समझ प्रदान करना था। कार्यक्रम का समापन प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरण के साथ हुआ। आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के चेयरमैन डॉ. रामकिशोर अग्रवाल तथा प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल ने कार्यक्रम की सराहना की। डॉ. अग्रवाल ने अपने संदेश में कहा कि ऐसे आयोजनों से शैक्षणिक संस्थानों के भीतर ज्ञान-साझाकरण और सहयोग की संस्कृति पल्लवित होती है। डॉ. अग्रवाल ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रमों से छात्र-छात्राओं को दंत चिकित्सा के क्षेत्र में वर्तमान प्रगति के बारे में जागरूक होने तथा अद्यतन रहने का मौका मिलता है। सीडीई की सफलता में डॉ. सिद्धार्थ सिसोदिया, डॉ. अनुज, डॉ. विवेक, डॉ. मनीष, डॉ. राजीव, डॉ. जुही आदि का अहम योगदान रहा। सीडीई में विभागाध्यक्ष डॉ. विनय मोहन, डॉ. सोनल, डॉ. अतुल, डॉ. अजय नागपाल, डॉ. शैलेन्द्र, डॉ. नवप्रीत तथा कॉलेज के प्रशासनिक अधिकारी नीरज छापड़िया आदि उपस्थित रहे।

 

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