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लखनऊ 28 अगस्त । हाथरस के लक्खी मेले का प्रमुख आकर्षण कुश्ती ही होता है। छह दिन तक चलने वाले इस कुश्ती-दंगल के लिए अखाड़े को बड़े पहलवानों की निगरानी में तैयार किया गया है। इसकी मिट्टी एंटीबायोटिक बनाई गई है। इसमें 40 किलो फिटकरी, बीस किलो हल्दी और साठ लीटर सरसों का तेल मिलाया गया है। पहलवानों का कहना है कि हल्की-फुल्की चोट तो इस मिट्टी से खुद ही सही हो जाती है। एक तरह से पूरा अखाड़ा आयुर्वेदिक विधि से तैयार किया गया है। मिट्टी वह सभी तत्व मिलाए जाते हैं जो एंटीबायोटिक गुण रखते हैं। सरसों का तेल, हल्दी आदि मिलाया जाता है। जिससे कुश्ती लड़ने वाले पहलवानों के चोटिल होने पर अधिकांश चोटें अखाड़े की मिट्टी से ही ठीक हो जाती हैं।

मेले में होने वाले दंगल का अखाड़ा बड़ी मेहनत और लागत से तैयार किया जाता है। इस बार भी हमने छह दिन में इस अखाड़े का तैयार किया है। मिट्टी को चिकनी और एंटीबायोटिक बनाया है। यह प्रक्रिया काफी कठिन है।-पूरनचंद्र पहलवान, रेफरी, बरी गेट अखाड़ा।

अच्छी किस्म की मिट्टी में अगर फिटकरी, हल्दी और सरसों के तेल जैसे पदार्थों का मिश्रण किया जा रहा है तो निश्चित है कि मिट्टी में एंटीबायोटिक गुण आ जाएंगे, जो चोट आदि लगने पर फायदा पहुंचाएंगे।-डाॅक्टर नरेंद्र कुमार, क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी, हाथरस।होता है यह फायदा

  • संक्रमण से बचाव- हल्दी और सरसों का तेल मिलाने से मिट्टी में वैक्टीरिया और फंगस नहीं पनपते। जिससे संक्रमण का खतरा कम होता है।
  • मिट्टी को नरम बनाना- तेल और हल्दी मिलाने से मिट्टी नरम और लचीली हो जाती है। जिससे गिरने पर पहलवानों को चोट कम लगती है
  • चोट से बचाव- हल्दी में एंटीबायोटिक और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। जो चोट लग जाने पर संक्रमण से बचाते हैं और सूजन को कम करते हैं

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