लखनऊ/संभल 04 अगस्त । उत्तर प्रदेश पुलिस के चर्चित और बहादुर अधिकारी अनुज चौधरी को सरकार जल्द ही एडिशनल एसपी (ASP) के पद पर प्रमोशन देने जा रही है। इस संबंध में विभागीय प्रोन्नति समिति (DPC) की बैठक में उनका नाम अंतिम रूप से चयनित कर लिया गया है। अब केवल आधिकारिक आदेश जारी होना बाकी है। खेल कोटे से PPS बने अनुज चौधरी, अब उसी कोटे से एडिशनल एसपी बनने वाले पहले अधिकारी होंगे। जानकारी के अनुसार, सीओ से एएसपी बनने के लिए 12 साल की न्यूनतम सेवा आवश्यक होती है, जो इस बैच में केवल अनुज चौधरी ने पूरी की है।
2012 बैच के एकमात्र पात्र अफसर
हालांकि 2012 बैच का चयन 2014 में हुआ था, लेकिन अनुज को खेल कोटे के चलते पूर्व में सेवा का लाभ मिला और उन्होंने सीनियरिटी की मांग की, जिसे विभाग ने मान लिया। 2 अगस्त को हुई DPC बैठक में 2007 से 2010 बैच तक के 29 डिप्टी एसपी के नामों पर विचार किया गया, जिनमें से 11 अयोग्य पाए गए और शेष अफसर सेवा की न्यूनतम अवधि पूरी नहीं कर सके। ऐसे में अनुज चौधरी ही एकमात्र योग्य नाम रह गए।
संभल हिंसा और विवादित बयान से सुर्खियों में आए
संभल में हिंसा के दौरान ड्यूटी पर तैनात अनुज चौधरी के पैर में गोली लगी थी, लेकिन उन्होंने मोर्चा नहीं छोड़ा। उनका एक बयान—”होली साल में एक बार आती है, जुमा 52 बार”—विवादों में रहा, मगर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुलकर उनका समर्थन किया और कहा, “पहलवान है, पहलवान की तरह बोलेगा।”
आजम खान को रोका, फिर जांच और क्लीनचिट मिली
अनुज चौधरी तब भी चर्चा में आए थे जब उन्होंने सपा नेता आजम खान को प्रशासनिक नियमों के तहत एक क्षेत्र में प्रवेश से रोका था। बाद में संभल हिंसा को लेकर उनके खिलाफ जांच बैठाई गई, जिसे बंद कर दिया गया। पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर की आपत्ति पर दोबारा जांच हुई, जिसमें अनुज को क्लीनचिट दी गई।
अंतरराष्ट्रीय पहलवान और अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित
अनुज चौधरी मूल रूप से मुजफ्फरनगर के बहेड़ी गांव के निवासी हैं। वे 1997 से 2014 तक नेशनल चैंपियन रहे। 2002 और 2010 नेशनल गेम्स में दो रजत पदक जीते। एशियाई चैंपियनशिप में दो कांस्य पदक जीते। उन्हें 2001 में लक्ष्मण अवॉर्ड और 2005 में अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।