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अलीगढ़ 01 अगस्त । मंगलायतन विश्वविद्यालय के स्टडी सर्कल क्लब द्वारा गोस्वामी तुलसीदास जयंती के अवसर पर आज के युग में तुलसीदास की प्रासंगिकता विषयक एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के विद्वान प्राध्यापकों ने तुलसीदास के साहित्य, दर्शन और उनके सामाजिक योगदान पर विचार प्रस्तुत किए। कुलपति प्रो. पीके दशोरा ने कहा कि तुलसीदास का जीवन स्वयं एक प्रेरणा है। रत्नावली के वचनों ने तुलसीदास को सांसारिक मोह से हटाकर आध्यात्म की ओर मोड़ा। 75 वर्ष की आयु में उन्होंने रामचरित मानस जैसी कालजयी रचना की, जो आज भी जनमानस में राम की छवि को जीवंत बनाए हुए है। प्रो. राजीव शर्मा ने कहा कि आज जो राम जन-जन के हृदय में बसे हैं, वह तुलसीदास की ही देन हैं। रामराज्य की परिकल्पना भी तुलसी के मानस से प्रेरित है, जहां राजा का कर्तव्य लोक कल्याण होता है। मानस में प्रबंधन, समर्पण, सेवा, मैत्री जैसे मानवीय मूल्यों का अद्भुत समावेश है। प्रो. दिनेश पांडेय ने तुलसीदास को उस युग का दीप बताया, जब समाज हिंसा, अनाचार और भ्रम का शिकार था। उन्होंने कहा कि तुलसीदास ने वेदांत, उपनिषदों और भक्ति मार्ग को जनसामान्य तक पहुंचाया। डा. पूनम रानी ने कहा कि रामचरित मानस केवल एक काव्य ग्रंथ नहीं, बल्कि धर्म, भक्ति और ज्ञान का गहन संदेश है। प्रो. प्रमोद कुमार ने रामचरितमानस को जीवन जीने की कला बताया। उन्होंने कहा कि मानस में हर रिश्ते का, हर भावना का विस्तृत वर्णन मिलता है। इस अवसर पर प्रो. अब्दुल वदूद सिद्दीकी, प्रो. आरके शर्मा, डा. शिवराज त्यागी, डा. अशोक उपाध्याय, डा. राजेश उपाध्याय, डा. दीपशिखा सक्सेना सहित सभी विभागाध्यक्ष उपस्थित रहे।

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