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मथुरा 02 दिसंबर । जी.एल. बजाज ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस, मथुरा के अनुसंधान एवं विकास सेल द्वारा बौद्धिक सम्पदा अधिकार पर अतिथि व्याख्यान का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि पूजा कुमार ने संकाय सदस्यों तथा छात्र-छात्राओं को बौद्धिक सम्पदा अधिकारों के महत्व और उनके संरक्षण के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि बौद्धिक सम्पदा अधिकारों से आपके द्वारा किए गए कार्यों की सुरक्षा होती है। अतिथि वक्ता पूजा कुमार पंजीकृत पेटेंट एजेंट और भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त स्टार्टअप फैसिलिटेटर हैं, और इनके पास लगभग 15 वर्षों का अनुभव है। उन्होंने कहा कि बौद्धिक सम्पदा अधिकार ऐसे कानूनी अधिकार हैं, जो किसी व्यक्ति या संस्था को उनकी बौद्धिक रचनाओं जैसे कि आविष्कार, साहित्यिक, कलात्मक कार्य, डिजाइन, प्रतीक, नाम और छवियों पर विशेष सुरक्षा प्रदान करते हैं। इसके प्रमुख प्रकारों में पेटेंट है, जो आविष्कारों की रक्षा करता है। पूजा कुमार ने कहा कि बौद्धिक सम्पदा अधिकार कॉपीराइट साहित्य, संगीत, फिल्म और सॉफ्टवेयर जैसे कार्यों को संरक्षित करता है। इतना ही नहीं ट्रेडमार्क ब्रांड नाम, लोगों या प्रतीक की भी सुरक्षा करता है।

मुख्य वक्ता एवं विषय विशेषज्ञ पूजा कुमार ने बौद्धिक सम्पदा अधिकार के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत एवं ज्ञानवर्धक व्याख्यान दिया। उन्होंने पेटेंट, कॉपीराइट, ट्रेडमार्क तथा औद्योगिक डिजाइन जैसे विषयों को सरल भाषा में समझाते हुए बताया कि शोधकर्ताओं और शिक्षकों के लिए अपने नवाचारों को कानूनी सुरक्षा देना बहुत जरूरी है। पूजा कुमार का व्याख्यान सभी प्रतिभागियों के लिए उपयोगी एवं प्रेरणादायक रहा। अतिथि व्याख्यान से पहले संस्थान की निदेशक प्रो. नीता अवस्थी ने मुख्य अतिथि पूजा कुमार का स्वागत करते हुए कहा कि इस व्याख्यान का उद्देश्य संकाय सदस्यों और शोधार्थियों के बीच आईपीआर के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। प्रो. अवस्थी ने आईपीआर के बढ़ते महत्व, अनुसंधान एवं नवाचार में उसकी अहम भूमिका और आज के समय में इसकी आवश्यकता पर प्रकाश डाला।

उन्होंने बताया कि बौद्धिक सम्पदा अधिकार (आईपीआर) को उन विचारों, आविष्कारों और रचनात्मक अभिव्यक्तियों के रूप में परिभाषित किया गया है जिनके आधार पर आमजन सम्पत्ति का दर्जा देने को तैयार है। प्रो. अवस्थी ने बताया कि विज्ञान स्नातकों के लिए आईपीआर क्षेत्र में अनेक विकल्प उपलब्ध हैं। युवा पीढ़ी इस क्षेत्र में पेटेंट विश्लेषक, पेटेंट इंजीनियर, पेटेंट डॉकिंग अधिकारी, आईपी अटॉर्नी, पेटेंट एजेंट और पेटेंट लेखक या ड्राफ्टर बन सकती है। कार्यक्रम के समापन अवसर पर विभागाध्यक्ष प्रो. वी.के. सिंह ने मुख्य वक्ता को स्मृति चिह्न भेंटकर उनका बहुमूल्य मार्गदर्शन के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया। अंत में कार्यक्रम समन्वयक डॉ. राजीव कुमार सिंह और डॉ. वजीर सिंह ने मुख्य अतिथि, विभागाध्यक्ष तथा सभी संकाय सदस्यों और प्रतिभागियों के प्रति आभार व्यक्त किया।

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