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रामपुर 17 नवम्बर । दो जन्म प्रमाणपत्र प्रकरण में मंगलवार को एमपी–एमएलए कोर्ट ने सपा नेता आजम खां और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम को दोषी करार दिया, जिसके बाद कोर्टरूम का माहौल अचानक बदल गया। फैसला सुनते ही दोनों कुछ क्षणों तक एक-दूसरे को देखते रह गए। उनके चेहरों पर तनाव और भविष्य की चिंता साफ दिखाई दे रही थी। जेल भेजे जाने से पहले बड़े बेटे अदीब ने आजम खां का गला चूमा और भाई अब्दुल्ला को गले लगाकर हिम्मत दी। दोपहर बाद अदालत ने आजम खां और अब्दुल्ला आजम को सात-सात साल की कैद और 50-50 हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई। इसके बाद दोनों को न्यायिक अभिरक्षा में जिला जेल भेज दिया गया।

यह मामला 2019 में गंज थाने में दर्ज हुआ था, जब शहर विधायक आकाश सक्सेना ने अब्दुल्ला आजम पर दो जन्म प्रमाणपत्र रखने का आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज कराया था। आरोप था कि अब्दुल्ला का एक जन्म प्रमाणपत्र लखनऊ नगर निगम का और दूसरा रामपुर नगरपालिका परिषद का है। जांच के बाद पुलिस ने आजम खां, अब्दुल्ला आजम और पूर्व विधायक डॉ. तजीन फात्मा के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। सुनवाई विशेष एमपी-एमएलए न्यायाधीश शोभित बंसल की अदालत में चल रही थी। मंगलवार को अदालत ने दोनों को दोषी करार दिया, जबकि फैसले के दौरान वादी और भाजपा विधायक आकाश सक्सेना भी कोर्ट में मौजूद रहे। बाहर निकलते ही उन्होंने इस निर्णय को सत्य और न्याय की जीत बताया। अब्दुल्ला की विधायकी पहले भी रद्द हो चुकी है। अब्दुल्ला ने 2017 में पहली बार विधायक बनने के लिए अपनी जन्मतिथि 01 जनवरी 1993 की जगह 30 सितंबर 1990 दर्शाई थी, ताकि न्यूनतम आयु सीमा पूरी हो सके। बसपा उम्मीदवार नवाब काजिम अली खां ने हाईकोर्ट में चुनाव याचिका दायर की थी, जिसके आधार पर हाईकोर्ट ने अब्दुल्ला की विधायकी निरस्त कर दी थी। बाद में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट भी गए लेकिन वहां भी राहत नहीं मिली। 2022 में वह स्वार सीट से फिर विधायक बने, लेकिन छजलैट प्रकरण में दो साल की सजा होने के कारण उनकी विधायकी चली गई। सजा के बाद आजम खां ने शांत अंदाज़ में कहा कि कोर्ट ने गुनहगार समझा और सजा सुना दी। इस पर कुछ नहीं कहना है। यह अदालत का फैसला है।

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