
प्रयागराज 16 नवंबर । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि तलाक लिए बिना किसी विवाहित महिला का पति के अलावा किसी अन्य पुरुष के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रहना द्विविवाह या व्यभिचार की श्रेणी में आता है, और ऐसे अवैध संबंध को पुलिस सुरक्षा का अधिकार नहीं दिया जा सकता। न्यायमूर्ति विवेक कुमार सिंह की एकल पीठ ने सहारनपुर निवासी महिला और उसके साथी की सुरक्षा संबंधी याचिका को खारिज करते हुए कहा कि जब तक सक्षम अदालत से तलाक की डिक्री नहीं मिल जाती, तब तक किसी भी व्यक्ति को अपने वैवाहिक जीवन से अलग होकर तीसरे व्यक्ति के साथ रहने की कानूनी अनुमति नहीं है। याचिकाकर्ता महिला ने दावा किया था कि वह और उसका साथी बालिग हैं और अपनी इच्छा से साथ रह रहे हैं, लेकिन उसके पति द्वारा दिए जा रहे कथित खतरे से बचाने के लिए सुरक्षा मांगी गई थी। राज्य सरकार की ओर से तर्क दिया गया कि महिला अभी भी अपने पहले पति की कानूनी पत्नी है और तलाक का मुकदमा लंबित है। अदालत ने कहा कि मांगी गई सुरक्षा देना दरअसल द्विविवाह व व्यभिचार को संरक्षण देने जैसा होगा, जिसे कानून स्वीकार नहीं करता, और इसलिए याचिका को खारिज कर दिया गया।














