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हाथरस 15 अक्टूबर । रेशम एक जैविक एवं प्राकृतिक कृषि आधारित उत्पाद है, जिसका उत्पादन तकनीकी प्रकृति का कार्य है। रेशम उत्पादन को बढ़ावा देने और इसे किसानों की आय का प्रमुख स्रोत बनाने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश सरकार लगातार कार्य कर रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कुशल नेतृत्व में पिछले 10 वर्षों में प्रदेश के रेशम निर्यात में 28 गुना वृद्धि दर्ज की गई है, जो अन्य किसी भी सेक्टर के मुकाबले सर्वाधिक है। सरकार रेशम उत्पादन की अपार संभावनाओं को देखते हुए लगातार नए प्रयास कर रही है। कृषकों को शहतूत के वृक्षों के रोपण के लिए सहायता दी जा रही है ताकि कृषि के साथ-साथ रेशम उत्पादन से उनकी आय में वृद्धि हो सके। साथ ही, लाभार्थियों के लिए “रेशम मित्र पोर्टल” के माध्यम से ऑनलाइन पंजीकरण की पारदर्शी सुविधा उपलब्ध कराई गई है, जिसके जरिए किसान विभागीय योजनाओं का लाभ प्राप्त कर रहे हैं। रेशम निदेशालय, उत्तर प्रदेश में शुद्ध सिल्क की पहचान और गुणवत्ता परीक्षण हेतु “सेंटर ऑफ एक्सीलेंस” की स्थापना का कार्य प्रगति पर है। इसके अलावा, रेशम उत्पादन को एफ.पी.ओ. (फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन) के माध्यम से बढ़ावा देने के लिए गोण्डा, बहराइच और फतेहपुर के एफ.पी.ओ. से त्रिपक्षीय एग्रीमेंट संपन्न किया गया है। इस योजना के लिए केन्द्रीय रेशम बोर्ड, बेंगलुरु द्वारा ₹371.56 लाख की केन्द्रांश सहायता प्रदान की गई है।

वर्ष 2025-26 में रेशम कीटपालन (शहतूती, टसर, एरी) का लक्ष्य 74.25 लाख DFLs निर्धारित किया गया है, जिसके सापेक्ष अगस्त 2025 तक 24.99 लाख DFLs का उत्पादन किया जा चुका है। इसी अवधि में रेशम कीटाण्ड उत्पादन का लक्ष्य 60.77 लाख DFLs के विरुद्ध 9.21 लाख DFLs पूरा किया गया है। रेशम धागा उत्पादन में भी उल्लेखनीय प्रगति हुई है। वर्ष 2025-26 के कुल लक्ष्य 479.93 मीट्रिक टन के सापेक्ष अगस्त 2025 तक 46.48 मीट्रिक टन रेशम धागा उत्पादित किया गया है। इसके साथ ही प्रदेश में 300 नई रेशम सहकारी समितियों का गठन किया जा रहा है ताकि रेशम संबंधी गतिविधियों को और सुदृढ़ किया जा सके। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में प्रदेश के बहराइच, श्रावस्ती, लखीमपुर, सीतापुर, गोण्डा, बलरामपुर, बस्ती, महराजगंज, गोरखपुर, कुशीनगर, पीलीभीत, शाहजहांपुर, बिजनौर और सहारनपुर जिलों में पहली बार राज्य पोषित “मुख्यमंत्री रेशम विकास योजना” प्रारंभ की गई है। इस योजना के लिए ₹100 लाख का बजट स्वीकृत किया गया है, जिसके तहत निजी क्षेत्र के कृषकों को वृक्षारोपण, कीटपालन भवन निर्माण एवं उपकरणों की खरीद हेतु अनुदान सहायता प्रदान की जा रही है।

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