
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कुलपति प्रो. पीके दशोरा ने कहा कि आयुर्वेद प्राचीनतम चिकित्सा पद्धति है, जिसने हजारों वर्षों से मानव जीवन को दिशा दी है। आयुर्वेद केवल रोगों का उपचार करने का विज्ञान नहीं है, बल्कि यह जीवन को संतुलित, स्वस्थ और सुखी बनाने की पद्धति है। आज की भागदौड़ और तनावपूर्ण जीवनशैली में आयुर्वेद की प्रासंगिकता और बढ़ जाती है। अगर हम आयुर्वेद के सिद्धांतों को अपनाएं तो न केवल बीमारियों से बच सकते हैं, बल्कि जीवन को दीर्घायु और आनंदमय बना सकते हैं। कुलसचिव ब्रिगेडियर समरवीर सिंह ने आयुर्वेद के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि यह केवल चिकित्सा पद्धति नहीं, बल्कि जीवन जीने की एक समग्र कला है। आयोजक प्राचार्य डा. मनोज कुमार शर्मा ने बताया कि पौधरोपण का उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण को कम करना है। आयुर्वेद हमें प्रकृति के साथ संतुलन बनाकर स्वस्थ जीवन जीने की प्रेरणा देता है। विद्यार्थियों ने आयुर्वेद पर आधारित प्रदर्शनी भी लगाई, जिसका अतिथियों ने अवलोकन कर सराहना की और विद्यार्थियों का उत्साहवर्धन किया। कार्यक्रम के सफल आयोजन में डा. अर्पित साह, डा. वेदप्रकाश शर्मा और डा. पायल शर्मा ने अहम भूमिका निभाई। इस मौके पर डा. राजेश धाकड़, डा. ऋषिकांत, डा. रेखा रानी, डा. प्रीतिंदर पाल, डा. निधि सोनी, डा. शिवांश चंद्र शर्मा, डा. श्याम, डा. सी. मॉर्गन, डा. सुशील सप्तपुते, डा. श्रीकांत देशमुख सहित शिक्षक और विद्यार्थी उपस्थित रहे।