लखनऊ 03 सितंबर । मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में उत्तर प्रदेश आउटसोर्स सेवा निगम के गठन को मंजूरी दी गई है। अब प्रदेश के सरकारी विभागों में आउटसोर्स कर्मचारी एक साल नहीं बल्कि तीन साल तक सेवा दे सकेंगे। इसके बाद अनुबंध का नवीनीकरण किया जा सकेगा।
न्यूनतम वेतन बढ़ा
अभी तक आउटसोर्स कर्मचारियों को न्यूनतम लगभग 10 हजार रुपये मिलते थे। नई व्यवस्था में यह बढ़कर कम से कम 20 हजार रुपये कर दिया गया है। साथ ही श्रेणीवार वेतन संरचना भी तय की गई है:
- श्रेणी-1 (चिकित्सीय, अभियंत्रण, व्याख्यान, अनुसंधान स्तर): 40,000 रुपये
- श्रेणी-2 (आशुलिपिक, लेखा, नर्सिंग, फार्मेसी आदि): 25,000 रुपये
- श्रेणी-3 (टंकण, भंडार, इलेक्ट्रिशियन, वाहन चालक आदि): 22,000 रुपये
- श्रेणी-4 (लिफ्ट ऑपरेटर, कार्यालय अधीनस्थ, सुरक्षा, फायर, सफाई आदि): 20,000 रुपये
कर्मचारी हितों की सुरक्षा
वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि अब कर्मचारियों को ईपीएफ, ईएसआई, मैटरनिटी लीव, अंतिम संस्कार सहायता (₹15,000) जैसी सुविधाएं मिलेंगी। एससी, एसटी, ओबीसी, ईडब्ल्यूएस, दिव्यांगजन, भूतपूर्व सैनिक और महिलाओं को नियमानुसार आरक्षण का लाभ भी मिलेगा।
चयन की प्रक्रिया
आउटसोर्स कर्मचारियों का चयन अब सीधे विभाग नहीं करेंगे। इसके लिए उत्तर प्रदेश आउटसोर्स सेवा निगम जेम पोर्टल के माध्यम से एजेंसियों का चयन होगा। कर्मचारियों की भर्ती लिखित परीक्षा और साक्षात्कार से होगी और समय-समय पर प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।
नई व्यवस्था की मुख्य बातें
- वेतन हर माह 1 से 5 तारीख तक सीधे खातों में आएगा।
- कर्मचारियों से महीने में 26 दिन सेवा ली जा सकेगी।
- किसी अनियमितता या अनुशासनहीनता पर सेवा समाप्त की जा सकेगी।
- निगम नॉन-प्रॉफिटेबल पब्लिक लिमिटेड कंपनी के रूप में चलेगा।
नियमित पदों पर लागू नहीं
सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह व्यवस्था पहले से सृजित व नियमित पदों के लिए नहीं होगी। वहीं सेवा लिए जाने पर वर्तमान कार्मिकों को प्राथमिकता दी जाएगी।