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लखनऊ/संभल 28 अगस्त । देश की आज़ादी के बाद से संभल की जनसांख्यिकी (डेमोग्राफी) लगातार बदलती रही है। न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, सुनियोजित दंगों और तुष्टीकरण की राजनीति की वजह से यहां हिंदू आबादी का अनुपात तेजी से घटा। आज़ादी के समय संभल नगर पालिका क्षेत्र में जहां 45 प्रतिशत हिंदू आबादी थी, वहीं अब यह घटकर मात्र 15 प्रतिशत रह गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, यह बदलाव दंगों, हिंसा और पलायन की वजह से हुआ। आयोग ने अपनी जांच में पाया कि जब तक संभल में हिंदुओं की आबादी 40 प्रतिशत से ऊपर रही, तब तक लगातार दंगे, लव जिहाद और धर्मांतरण जैसी गतिविधियों से उनकी संख्या घटाने की कोशिश की जाती रही। जैसे ही हिंदू आबादी 20 प्रतिशत से कम हुई, संघर्ष का रूप बदलकर विदेशी और देसी मुसलमानों—यानी तुर्क और धर्मांतरण से मुसलमान बने पठानों—के बीच आपसी टकराव में बदल गया।

दंगों का काला इतिहास

रिपोर्ट में बताया गया कि 1936 से 2019 तक संभल में कुल 15 बड़े दंगे हुए, जिनमें 213 लोगों की जान गई। इनमें से 209 हिंदू थे। सबसे भयावह घटना 1978 में होली के बाद हुई थी, जब 184 हिंदुओं की हत्या कर दी गई। दस्तावेज़ों की जांच में आयोग को यह भी पता चला कि इस लंबे दौर में सिर्फ चार मुस्लिमों की मौत दर्ज की गई—दो 1992 में अयोध्या विवादित ढांचे के विध्वंस के बाद और दो 2019 में सीएए विरोधी हिंसा के दौरान।

धार्मिक स्थल भी बने निशाना

हिंसा और तुष्टीकरण की राजनीति ने धार्मिक धरोहरों को भी प्रभावित किया। संभल में मौजूद 68 तीर्थ स्थल और 19 पावन कूपों पर समय के साथ कब्जा कर लिया गया। प्रदेश सरकार ने 30 मई 2025 को इन कूपों के पुनरुद्धार का कार्य शुरू किया है। हरिहर मंदिर का भी उल्लेख रिपोर्ट में किया गया है, जहां बाबर काल के साक्ष्य मिलने की बात कही गई है।

आतंकी संगठन और अवैध कारोबार

आयोग की रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि संभल आतंकी संगठनों की गतिविधियों का गढ़ बनता जा रहा है। लाना आसिम उर्फ़ सना-उल-हक का जिक्र रिपोर्ट में किया गया है, जिसे अमेरिका पहले ही आतंकवादी घोषित कर चुका है। रिपोर्ट में कहा गया है कि संभल में अवैध हथियार और नशे के कारोबार का नेटवर्क तेजी से फैल रहा है।

सीएम ने दिए कड़े निर्देश

रिपोर्ट में शासन और पुलिस की लापरवाही पर भी सवाल उठाए गए हैं। सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों पर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।

सदन में पेश होगी रिपोर्ट

प्रमुख सचिव गृह संजय प्रसाद ने बताया कि आयोग की गोपनीय रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी गई है, जिसका अध्ययन किया जा रहा है। इसे कैबिनेट की मंजूरी के बाद विधानसभा में पेश किया जाएगा।

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