सिकंदराराऊ (हसायन) 07 सितंबर । भगवान शिव माता पार्वती के प्रिय पुत्र लम्बोदर भगवान गणेश का भाद्रपद में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी पर गणेश उत्सव मनाया जाता है।माता पार्वती जब एक बार अपने कैलाश पर्वत पर स्नानादि क्रिया से निवृत हो रही थी।तब भगवान गणेश लम्बोदर को माता पार्वती ने द्वारा पर बिठा दिया था।इस दौरान तमाम देव गण माता के पास किसी समस्या के समाधान के लिए जाने के लिए पहुंचे। तो भगवान गणेश जी ने सभी को प्रथम द्वार पर रोक दिया था।उक्त बातें गणेश चतुर्थी गुरू गोरखनाथ ट्रस्ट नगला पदू बादरी में आयोजित गणेश चतुर्थी उत्सव कार्यक्रम के दौरान गुरू गोरखनाथ ट्रस्ट के महंत कमलनाथ गुरूजी ने व्यक्त कही।उन्होने कहा कि विघ्न हर्ता के नाम से सुविख्यात भगवान गणेश लम्बोदर भाद्रपद के शुक्ल पक्ष में भक्तो को दर्शन देने के लिए आते है।उन्होने बताया कि भगवान गणेश सभी देवो में सर्व प्रथम प्रिय पूज्य देवता है।भगवान गणेश की पूजा सभी धार्मिक कार्यक्रमों में सर्व प्रथम की जाती है।गणेश चतुर्थी पर महंत कमलनाथ गुरूजी के द्वारा गौशाला में पहुंचकर गौवंश के साथ साथ गौमाता को हरा चारा भूसा दाना खिलाकर पूजा अर्चना की।उन्होने बताया कि गौमाता में तैतीस करोड देवी देवता वास करते है।गौमाता के सेवा करने से समाज में हर वर्ग का कल्याण होता है।गाय हमारे हिन्दू पंथ की वैदिक सनातन धर्म की जननी के रूप में पूज्यवान है।उन्होने कहा कि प्रत्येक परिवार को अपने घर में किसी अन्य जानवर के बजाए गौमाता को पालन पोषण कर प्रतिदिन नियमित पूजा करनी चाहिए।गौमाता की पूजा अर्चना करने से मनुष्य सांसरिक विषय भोग वासना से मुक्त होकर भवसागर से पल में पार हो जाता है।गाय माता सांसरिक वैतरिणी को पार कराने का एक सर्वोच्च दैवीय कृपा प्राप्त करने का एक सदमार्ग है।