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मथुरा 13 फरवरी । हमारा समाज सूचना समाज से अब बुद्धिमान समाज की ओर बढ़ रहा है। समाज के विकास को बढ़ावा देने में कम्प्यूटिंग एक महत्वपूर्ण तत्व बन गया है। हाल के वर्षों में हमने बुद्धिमान कम्प्यूटिंग के उद्भव को देखा है, एक नया कम्प्यूटिंग प्रतिमान पारम्परिक कम्प्यूटिंग को नया रूप दे रहा है। नए कम्प्यूटिंग सिद्धांतों, विधियों, प्रणालियों और अनुप्रयोगों से देश-दुनिया को बेशक लाभ मिल रहा हो लेकिन हमें कृत्रिम बुद्धिमत्ता के प्रयोग में हमेशा सावधानी रखने की जरूरत है। यह बातें मुख्य अतिथि  (डॉ) डीएस चौहान (पूर्व कुलपति यूपीटीयू) ने जीएल बजाज ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस मथुरा में आयोजित इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन इंटेलिजेंट कंट्रोल, कम्प्यूटिंग एंड कम्युनिकेशन (आईसी3-2025) के शुभारम्भ अवसर पर शिक्षाविदों और शोधकर्ताओं को बताईं। सम्मेलन का शुभारम्भ मां सरस्वती की प्रतिमा के सम्मुख दीप प्रज्वलित कर किया गया। इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की थीम ” इनोवेशन को अपनाना: अत्याधुनिक विकास की खोज” है। सम्मेलन के पहले दिन शोधकर्ताओं ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता, उन्नत कम्प्यूटिंग और संचार प्रणालियों में नवीनतम प्रगति पर केन्द्रित अपने विचार साझा किए। इस अवसर पर मुख्य अतिथि डीएस चौहान, संस्थान की निदेशक नीता अवस्थी, जर्मनी के एचएलआरएस लैब के निदेशक माइकल एम. रेश, आईईईई यूपी सेक्शन के चेयर स्टूडेंट ब्रांच एक्टिविटी प्रभाकर तिवारी, पूर्व चेयर आईईईई यूपी सेक्शन आशीष पांडेय, न्यूजलेटर और इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन कमेटी के चेयर एस. विक्रम सिंह और डॉ. वी.के. सिंह ने संयुक्त रूप से कॉन्फ्रेंस सोवेनियर का अनावरण किया। अपने उद्घाटन सम्बोधन में डीएस चौहान ने कहा कि यह कॉन्फ्रेंस सोवेनियर सम्मेलन की उपलब्धियों को संजोने का एक अनूठा प्रयास है और इससे शोध एवं इनोवेशन को बढ़ावा मिलेगा। माइकल एम. रेश ने अपने सम्बोधन में कहा कि बुद्धिमान कम्प्यूटिंग ने कम्प्यूटिंग के दायरे को बहुत व्यापक बना दिया है। उन्होंने कहा कि बुद्धिमत्ता और कम्प्यूटिंग लम्बे समय से अलग-अलग विकास पथों से गुजरे हैं, लेकिन हाल के वर्षों में वे तेजी से एक-दूसरे से जुड़ गए हैं। बुद्धिमान कम्प्यूटिंग न केवल बुद्धिमत्ता उन्मुख है बल्कि बुद्धिमत्ता संचालित भी है। बुद्धिमान कम्प्यूटिंग अभी भी अपनी प्रारम्भिक अवस्था में है लिहाजा बहुत सारे इनोवेशन होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि बुद्धिमान कम्प्यूटिंग मानव उन्मुख है और उच्च कम्प्यूटिंग क्षमता, ऊर्जा दक्षता, बुद्धिमत्ता और सुरक्षा का अनुसरण करती है। इसका लक्ष्य बड़े पैमाने पर जटिल कम्प्यूटेशनल कार्यों का समर्थन करने के लिए सार्वभौमिक, कुशल, सुरक्षित, स्वायत्त, विश्वसनीय और पारदर्शी कम्प्यूटिंग सेवाएं प्रदान करना है। इस अवसर निदेशक नीता अवस्थी ने जीएल बजाज संस्थान की शैक्षिक उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इनोवेशन संस्कृति वह आधारशिला है जिस पर संगठन स्थायी प्रतिस्पर्धी लाभ का निर्माण कर सकते हैं। यह सामूहिक मानसिकता है जो रचनात्मक सोच और नए समाधानों की खोज को महत्व देती है। इनोवेशन संस्कृति साझा विश्वासों, मूल्यों और प्रथाओं का एक समूह है जो संगठन के भीतर व्यक्तियों को परिवर्तन के अनुकूल होने की प्रतीक्षा करने के बजाय सक्रिय रूप से परिवर्तन की तलाश करने के लिए प्रोत्साहित करती है। यह एक ऐसा वातावरण है जो समस्या-समाधान के लिए एक खुले दिमाग वाले दृष्टिकोण को बढ़ावा देता है, जहां नए विचारों को महत्व दिया जाता है और उनका पोषण किया जाता है। सम्मेलन के संयोजक डॉ. वीके सिंह ने कहा कि यह सम्मेलन न केवल शोध और इनोवेशन के क्षेत्र में नई दिशाएं प्रदान करेगा बल्कि छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बनेगा। सम्मेलन का संचालन डॉ. शिखा गोविल, डॉ. शाम्भवी कात्यायन मिश्र और इंजीनियर मेधा खेनवार ने किया। अंत में सभी अतिथियों को स्मृति चिह्न भेंटकर उनका आभार माना गया। इस अवसर पर डॉ. रामवीर सिंह सेंगर, डॉ. भोले सिंह, डॉ. शशि शेखर, डॉ. नवनीत पांडेय, डॉ. उदयवीर सिंह, डॉ. राजीव कुमार सिंह, डॉ. अभिषेक सिंह, रजिस्ट्रार विपिन धीमान, प्रशासनिक अधिकारी आशीष कुमार और रविंद्र जायसवाल आदि मौजूद रहे।

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