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हाथरस 22 सितम्बर । किसान भाइयों द्वारा जनपद में आलू एवं अन्य रबी फसलों के लिए डीएपी का अत्यधिक प्रयोग किया जा रहा है, जिसका दुष्प्रभाव न केवल फसलों पर बल्कि मृदा की गुणवत्ता पर भी पड़ रहा है। अत्यधिक डीएपी का उपयोग पौधों की जड़ों को प्रभावित करता है, मृदा की पानी सोखने की क्षमता को कम करता है और मिट्टी के क्षरण को बढ़ावा देता है। इसके अलावा पौधों के विकास के लिए आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे बोरोन, आयरन, जिंक व मैंगनीज के अवशोषण पर भी नकारात्मक असर डालता है। डीएपी में मौजूद 18 प्रतिशत नाइट्रोजन का अधिक प्रयोग जल प्रदूषण का कारण बनता है और मिट्टी में मौजूद मित्र कीटों को भी प्रभावित करता है। जिला कृषि अधिकारी ने बताया कि किसानों के लिए डीएपी के बेहतर विकल्प मौजूद हैं। एनपीके और एसएसपी डीएपी की तुलना में अधिक घुलनशील होते हैं और पौधों द्वारा जल्दी अवशोषित किए जा सकते हैं। एसएसपी डीएपी से काफ़ी सस्ती भी है, जिसका मूल्य मात्र 650 रुपये है। इन उर्वरकों के उपयोग से न तो मित्र कीट प्रभावित होंगे और न ही मृदा के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। जनपद में उर्वरक की वर्तमान उपलब्धता के बारे में जानकारी देते हुए बताया गया कि आज की तिथि में जनपद में लगभग 2800 एमटी डीएपी, 11000 एमटी यूरिया, 2200 एमटी एनपीके एवं 1800 एमटी एसएसपी उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त आगामी 23 सितम्बर 2025 को इफको की एक रैक हाथरस किला प्वाइंट पर लगने जा रही है, जिसके अंतर्गत जनपद को 1950 एमटी डीएपी और 750 एमटी एनपीके सहकारी समितियों को उपलब्ध कराया जाएगा। जिला कृषि अधिकारी ने किसान भाइयों से अपील की है कि खाद लेते समय अपना आधार कार्ड और खतौनी अवश्य साथ लेकर जाएं। अनावश्यक उर्वरकों का भंडारण न करें। यदि कोई दुकानदार अधिक मूल्य पर उर्वरक बेचता है या टैगिंग करता है तो इसकी तत्काल सूचना जिला कृषि अधिकारी कार्यालय को दें, ताकि संबंधित के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जा सके। साथ ही किसानों से यह भी अनुरोध किया गया है कि वे डीएपी व अन्य उर्वरक केवल अधिकृत सहकारी समितियों या पंजीकृत निजी विक्रेताओं से ही खरीदें। यदि कोई व्यक्ति बाहर से डीएपी खरीदने के लिए प्रलोभन देता है तो किसान इसकी भी सूचना तुरंत जिला कृषि अधिकारी कार्यालय में दें।

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