हाथरस 05 अगस्त। विगत वर्षों की भांति इस वर्ष भी सुप्रसिद्ध एवं ऐतिहासिक 114वां लख्खी मेला श्री दाउजी महाराज को भव्य एवं सकुशल सम्पन्न कराने के उद्देश्य से प्रशासनिक तैयारियाँ प्रारंभ कर दी गई हैं। बल्देव छठ यानि आगामी 29 अगस्त से मन्दिर श्री दाऊजी महाराज परिसर में मेला प्रारम्भ होना है। विगत वर्षों की भाँति मेला को भव्य एवं सकुशल सम्पन्न कराने हेतु विचार-विमर्श एव सुझाव प्राप्त करने के लिए आवश्यक बैठक जिलाधिकारी राहुल पाण्डेय की अध्यक्षता में कलक्ट्रेट सभागार में कल दोपहर 2 बजे से एक बैठक आहूत की गयी है। जिसमें जनप्रतिनिधि, सभ्रान्त नागरिकगण व समाजसेवियो आदि से अपील की गयी है कि सभी उपस्थिति होकर अपने बहुमूल्य सुझाव दें, ताकि वर्ष 2025 का श्री दाऊजी महाराज लक्खी मेला परंपरा, श्रद्धा और व्यवस्था की दृष्टि से एक मिसाल बन सके।
कुछ दिनों पहले जिलाधिकारी राहुल पाण्डेय ने पुलिस अधीक्षक चिरंजीव नाथ सिंहा के साथ कलेक्ट्रेट सभागार में संबंधित विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक कर मेला आयोजन के संबंध में आवश्यक व्यवस्थाओं के बारे में जानकारी कर दिशा निर्देश दिए। बैठक के दौरान जिलाधिकारी ने जानकारी दी कि परंपरागत रूप से गणेश चतुर्थी 27 अगस्त से विधिवत पूजा-अर्चना के साथ मेले का शुभारंभ किया जाएगा, जबकि बल्देव छठ यानि आगामी 29 अगस्त को मेले का विधिवत उद्घाटन होगा। आपको बतादें उत्तर प्रदेश शासन द्वारा विगत वर्ष लख्खी मेला श्री दाउजी महाराज को राजकीय मेला घोषित किया गया था, जिससे इसकी महत्ता और भी बढ़ गई है। जिलाधिकारी ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि विगत वर्षों की भांति इस वर्ष भी मेला आयोजन की समस्त व्यवस्थाओं को सुव्यवस्थित ढंग से क्रियान्वित किया जाए। उन्होंने समयबद्ध कार्य योजना, समितियों के गठन एवं आय-व्यय की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।
मेले का इतिहास और मान्यता
हाथरस यानि ब्रज की देहरी पर भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई दाऊबाबा का जन्मोत्सव देव छठ के रूप में मनाया जाता हैं। शहर के किला क्षेत्र में लगने वाला मेला श्री दाऊजी महाराज सद्भावना का प्रतीक है। 27 अगस्त गणेश चतुर्थी सेइस महोत्सव का आयोजन किया जाएगा। इस मेले का विधिवत शुभारंभ 29 अगस्त से होगा। इस मेले में प्रतिदिन लाखों की संख्या में लोग आते हैं। लगभग 20 दिन तक चलने वाले इस मेले में कई बड़े-बड़े कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। लोगों ने बताया कि अब से 110 साल पहले हाथरस के तहसीलदार श्यामलाल थे। बताते हैं कि श्यामलाल के बेटे की तबीयत काफी खराब थी और वह मरने वाला था। श्रीकृष्ण के बड़े भाई दाऊबाबा का जन्मोत्सव देव छठ के रूप में मनाया जाता है।
सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक
बेटे के सही होने पर तहसीलदार ने शुरू कराया था मेला मान्यता है कि तब तहसीलदार को सपने में दाऊजी महाराज का आदेश हुआ कि मंदिर को खुलवाकर सेवा शुरू कराओ। तहसीलदार ने मंदिर खुलवाकर सेवा-पूजा शुरू कराई तो मृत्यु शैया पर पड़ा बेटा ठीक हो गया। इस पर तहसीलदार ने पहली बार मेला आयोजित कराया था तभी से यहां हर साल ये मेला लगता है। अंग्रेजों ने तोप के गोले दागे थे, लेकिन मंदिर के गोलों को कोई क्षति नहीं पहुंची। हाथरस किला और मंदिर का इतिहास हाथरस रियासत के राजा दयाराम थे, जिनके किले में सैकड़ों वर्ष पुराना श्री दाऊजी महाराज का मंदिर है। अंग्रेजी हुकूमत के आगे न झुकने की गवाही किले पर बने दाऊजी मंदिर की प्राचीर आज भी देता है। अंग्रेजों ने मंदिर पर तोप के गोले दागे। बताते हैं कि भगवान की कृपा से गोलों से मंदिर को कोई क्षति नहीं पहुंची। आज भी मंदिर में गोला रखा है। दाऊजी महाराज के मंदिर में श्रीकृष्ण के नाम से श्री दाऊजी महाराज का विग्रह विराजमान है। सद्भावना का प्रतीक है दाऊजी महाराज का मेला हाथरस के किला क्षेत्र में लगने वाला मेला दाउजी महाराज आज भी सद्भाव का प्रतीक है। इस मेला परिसर में एक छोर पर दाऊजी महाराज का मंदिर है तो दूसरी ओर काले खां की मजार है। वहां सभी धर्मों के लोग मंदिर के दर्शन भी करते हैं तो मजार पर मत्था भी जरूर टेकते हैं। पिछले 110 साल से ये मेला लगाया जा रहा है। बृज क्षेत्र में लगने वाले मेलों में हाथरस के देवछट मेले का भी अलग महत्त्व है। इस मेले के जरिये आमजन में सांप्रदायिक सद्भावना पैदा होती है।
राजकीय मेला घोषित
उत्तर प्रदेश शासन द्वारा विगत वर्ष श्री दाऊजी महाराज लख्खी मेले को राजकीय मेला घोषित किया गया, जिससे इसकी प्रतिष्ठा और व्यापक हो गई है। प्रतिदिन लाखों श्रद्धालु मेले में भाग लेते हैं, और लगभग 20 दिनों तक चलने वाले इस आयोजन में सांस्कृतिक, धार्मिक एवं सामाजिक कार्यक्रमों की श्रृंखला होती है।