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मथुरा 11 जुलाई । योग्यता आधारित शिक्षा एक शिक्षण अधिगम पद्धति है जो छात्र-छात्राओं को परिवेश की परवाह किए बिना अपनी गति से किसी कौशल को सीखने या उसमें निपुणता प्राप्त करने में सक्षम बनाती है। यह पद्धति छात्र-छात्राओं के अधिगम परिणामों को बेहतर बनाने और विभिन्न अधिगम क्षमताओं को पूर्ण करने में मदद करती है। यह बातें राजीव इंटरनेशनल स्कूल में मिलेनियम पब्लिशर्स द्वारा योग्यता आधारित शिक्षा पर आयोजित वर्कशॉप में एमिनेंट स्पीकर, फ्यूचर आइकांस ग्रुप की फाउण्डर एण्ड डायरेक्टर डॉ. अक्षिता बहुगुणा ने शिक्षकों को बताईं।

डॉ. अक्षिता बहुगुणा ने बताया कि योग्यता आधारित शिक्षा एक ऐसी शैक्षिक पद्धति है, जिसमें कौशल, ज्ञान, मूल्यों और दृष्टिकोणों के प्रदर्शन का उपयोग करके सीखने में छात्र-छात्राओं की आयु तथा कक्षा उपयुक्त स्तरों पर मदद मिलती है। यह दृष्टिकोण परिणाम आधारित है तथा शिक्षकों को छात्र-छात्राओं को ज्ञान, मूल्य विकसित करने और डिग्री प्राप्त करने के बाद भी आजीवन शिक्षार्थी बनने में मदद करने में सक्षम बनाता है। सरल शब्दों में योग्यता आधारित शिक्षा की परिभाषा एक शैक्षिक मॉडल है, जो छात्र-छात्राओं के समग्र विकास को प्राथमिकता देती है। डॉ. बहुगुणा ने बताया कि सैद्धांतिक ज्ञान छात्र-छात्राओं को किसी भी अवधारणा को समझने में मदद कर सकता है, लेकिन वास्तविक दुनिया में उन्हें एक “प्रयासशील” दृष्टिकोण, तीव्र मानसिकता और ऐसे कौशल या योग्यताएं चाहिए जो उन्हें अपने लक्ष्य प्राप्त करने में मदद कर सकें। उन्होंने कहा कि आज उद्योगों को ऐसे प्रतिभाशाली छात्र-छात्राओं की आवश्यकता है जो भीड़ में अलग दिख सकें, उनके संगठन के लिए परिसम्पत्ति बन सकें तथा सर्वोत्तम प्रदर्शन कर सकें।

वर्कशॉप में डॉ. अक्षिता बहुगुणा ने विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से शिक्षक-शिक्षिकाओं को टीचिंग स्किल्स तथा विद्यार्थियों के साथ तारतम्य बिठाने के तौर-तरीके बताए। उन्होंने कहा कि धैर्य और सहनशीलता के साथ एक शिक्षक विभिन्न अधिगम क्षमता वाले छात्र-छात्राओं को भी एक साथ सिखा सकता है। शिक्षक रियल लाइफ के नए-नए उदाहरण देकर साथ ही विद्यार्थियों से रोल प्ले करवाकर भी उनके सीखने के तरीकों आसान बना सकते हैं। आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल ने वर्कशॉप को सार्थक बताते हुए कहा कि ज्ञान हासिल करने की कोई उम्र नहीं होती। विद्यार्थी कोरे कागज के समान होते हैं जिन्हें सुघड़ सांचे में ढालने का कार्य शिक्षक ही करते हैं। राजीव इंटरनेशनल स्कूल के चेयरमैन मनोज अग्रवाल ने कहा कि समय-समय पर ऐसी कार्यशालाओं का आयोजन किया जाना जरूरी है। ऐसी कार्यशालाओं से शिक्षकों को जहां अपडेट होने का मौका मिलता है वहीं शिक्षा में नयापन आने से छात्र-छात्राओं की अध्ययन के प्रति रुचि भी बढ़ती है। श्री अग्रवाल ने कहा कि ईश्वर ने प्रत्येक विद्यार्थी को कोई न कोई गुण अवश्य दिया है, उस गुण में विस्तार का कार्य एक शिक्षक ही कर सकता है। विद्यालय की प्रधानाध्यापिका प्रिया मदान ने एमिनेंट स्पीकर, फ्यूचर आइकांस ग्रुप की फाउण्डर एण्ड डायरेक्टर डॉ. अक्षिता बहुगुणा को स्मृति चिह्न भेंटकर उनका आभार माना।

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