हाथरस 31 अगस्त । राधारानी को भगवान श्रीकृष्ण की आह्लादिनी शक्ति माना जाता है। पद्म पुराण में उल्लेख मिलता है कि राधा श्रीकृष्ण की आत्मा हैं, वहीं महर्षि वेदव्यास ने लिखा है कि श्रीकृष्ण आत्माराम हैं और उनकी आत्मा राधा हैं। संस्कृत साहित्य में राधा को काव्य और भक्ति दोनों ही क्षेत्रों में विशेष सम्मान प्राप्त है। भाद्रपद शुक्ल पक्ष अष्टमी को राधारानी का जन्मोत्सव बड़े ही हर्षोल्लास और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। बरसाना धरा पर जन्मीं राधारानी के भव्य मंदिर में इस अवसर पर विशेष अभिषेक, पूजा-अर्चना और श्रृंगार दर्शन होते हैं। लाखों श्रद्धालु देश-विदेश से यहाँ पहुँचकर इस पर्व का आनंद उठाते हैं। राधारानी का अलौकिक श्रृंगार भक्तों को मंत्रमुग्ध कर देता है। राधा और कृष्ण एक-दूसरे के आराधक माने जाते हैं, यही कारण है कि विदेशों में भी राधारानी को एक शक्ति के रूप में पूजा जाता है। हाथरस के सर्राफा व्यवसायी शैलेन्द्र वार्ष्णेय सर्राफ के डाक टिकट संग्रह में भी राधारानी की महिमा से जुड़े दुर्लभ डाक टिकट मौजूद हैं। इनमें उल्लेखनीय है —
- अमेरिकी देश गुआना द्वारा जारी राधा-कृष्ण की होली खेलते हुए डाक टिकट
- इस्लामिक देश यमन द्वारा जारी राधारानी पर आधारित डाक टिकट
- नेपाल द्वारा राधारानी को समर्पित डाक टिकट
शैलेन्द्र सर्राफ ने राधा अष्टमी पर्व पर सरकारी स्तर पर भव्य कार्यक्रम आयोजित करने की मांग की है, ताकि आने वाली पीढ़ी राधारानी की महिमा को और गहराई से समझ सके।