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अलीगढ़ 17 जुलाई । मंगलायतन विश्वविद्यालय ने शिक्षा के क्षेत्र में एक और अभिनव पहल करते हुए शैक्षणिक सत्र 2025-26 से इंस्टीट्यूट ऑफ डिफेंस एंड स्ट्रेटजिक स्टडीज की शुरुआत की है। यह संस्थान राष्ट्रीय सुरक्षा, रणनीतिक अध्ययन, रक्षा नीति जैसे विषयों पर उच्च गुणवत्ता की शिक्षा, शोध और नीति निर्माण को बढ़ावा देगा। मंगलायतन विश्वविद्यालय में इस इंस्टीट्यूट द्वारा संचालित किए जा रहे पाठ्यक्रम उन युवाओं के लिए एक सुनहरा अवसर है जो भारतीय सेना, अर्धसैनिक बल, सिविल सेवा, नीति अनुसंधान, रक्षा पत्रकारिता, खुफिया तंत्र व रक्षा उत्पादन जैसे क्षेत्रों में अपना भविष्य बनाना चाहते हैं। इस अवसर पर विश्वविद्यालय परिसर में एक प्रेस वार्ता भी आयोजित की गई।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कुलपति प्रो. दशोरा ने कहा कि मंगलायतन विश्वविद्यालय संस्कृति, शिक्षा और अनुसंधान में उत्कृष्टता की अपनी प्रतिबद्धता के लिए पहचाना जाता है। बदलते वैश्विक परिदृश्य और भारत की सामरिक भूमिका को देखते हुए डिफेंस एंड स्ट्रेटजिक स्टडीज की शुरुआत महत्वपूर्ण पहल है। यह संस्थान देश के युवाओं को रक्षा एवं रणनीतिक अध्ययन के क्षेत्र में सशक्त बनाएगा। इसी को ध्यान में रखते हुए यह संस्थान स्थापित किया जा रहा है। संस्थान के उद्देश्य और कोर्स विवरण साझा करते हुए बताया कि यहां बी.ए. और बी.एससी. (डिफेंस एंड स्ट्रेटेजिक स्टडीज) पाठ्यक्रम शुरू किए गए हैं। दोनों पाठ्यक्रमों की अवधि चार वर्ष होगी। प्रवेश के लिए न्यूनतम योग्यता बारहवीं में 45 प्रतिशत अंक निर्धारित है। पाठ्यक्रमों की वार्षिक फीस 40,000 रखी गई है। इसकी दो शाखाएं गठित की जाएंगी। एक शाखा शिक्षण व दूसरी करियर मार्गदर्शन करेगी। कुलपति ने बताया कि ढांचागत संरचना (इंफ्रास्ट्रक्चर), प्रतिवर्ष छात्रों की बढ़ती संख्या, अत्याधुनिक उपकरणों से सुसज्जित प्रयोगशालाएं मंगलायतन की खास पहचान हैं। इनमें लैग्वेज लैब और सेंट्रल लैब अपनी विशेषताओं के साथ-साथ विद्यार्थियों की प्रतियोगी शिक्षा के लिए लाभदायक हैं और समग्र विकास और भविष्य की सफलता के लिए महत्वपूर्ण हैं।
कुलसचिव ब्रिगेडियर समरवीर सिंह ने कहा कि इंस्टीट्यूट ऑफ डिफेंस एंड स्ट्रेटेजिक स्टडीज के अंतर्गत शुरू किए गए दोनों पाठ्यक्रम विद्यार्थियों के लिए करियर के व्यापक अवसर खोलेंगे। इन पाठ्यक्रमों के माध्यम से छात्र भारतीय सेना, अर्धसैनिक बल, सिविल सेवा, रक्षा अनुसंधान, मीडिया, खुफिया एजेंसियों और रक्षा उत्पादन जैसे क्षेत्रों में अपना भविष्य बना सकेंगे। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय का हरित परिसर आधुनिक सुविधाओं से युक्त है तथा शिक्षण कार्य अनुभवी और शोधपरक दृष्टिकोण वाले प्राध्यापकों द्वारा किया जाता है। रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रमों के साथ इंडस्ट्री-एकेडमिक गठजोड़, छात्रवृत्ति योजनाएं, प्लेसमेंट सहायता और नवाचार को प्रोत्साहन देने वाला अकादमिक वातावरण विद्यार्थियों को उत्कृष्टता की ओर अग्रसर करता है। वहीं यहां सेना में करियर बनाने के इच्छुक छात्रों को मार्गदर्शन व प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।
परीक्षा नियंत्रक प्रो. दिनेश शर्मा ने बताया कि विश्वविद्यालय विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास पर बल देता है। डिफेंस एंड स्ट्रेटजिक स्टडीज के पाठ्यक्रम में विद्यार्थियों को केवल अकादमिक ज्ञान तक सीमित नहीं रखा जाएगा, बल्कि उन्हें रणनीतिक विश्लेषण, सार्वजनिक नीति और रक्षा तकनीक की व्यावहारिक जानकारी भी दी जाएगी। उन्होंने बताया कि इस पाठ्यक्रम की प्रवेश प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है। विद्यार्थियों को प्रशिक्षित एवं अनुभवी फैकल्टी द्वारा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान की जाएगी। हमारा उद्देश्य है कि विद्यार्थी सुरक्षा तकनीक के क्षेत्र में दक्ष बनें और राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर योगदान देने में सक्षम हों। जीएम एडमिशन अनुराग आनंद पांडेय ने प्रवेश प्रक्रिया व छात्रवृति के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। पूर्व सैनिक संगठन के अध्यक्ष महिपाल सिंह ने विश्वविद्यालय की पहल की मुक्तकंठ से सराहना करते हुए सहयोग का आश्वासन दिया। इस अवसर पर डीन एकेडमिक प्रो. राजीव शर्मा, प्रो. दिनेश पांडे, डा. संतोष गौतम, प्रो. केपी सिंह, प्रो. अनुराग शाक्य, डा. अशोक उपाध्याय, डा. फवाद खुर्शीद, डा. जितेंद्र यादव, गोपाल राजपूत, प्रो. प्रदीप कुमार, मनीषा उपाध्याय, मीनाक्षी बिष्ट, योगेश कौशिक, मयंक जैन, वीर प्रताप सिंह, याशिका गुप्ता आदि थे।

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