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हाथरस 16 अक्टूबर । त्योहारों की खुशियों के बीच मुरसान क्षेत्र के ग्राम कोटा में एक दर्दनाक हादसे ने पूरे इलाके को शोक और आक्रोश में डुबो दिया। मात्र 15 वर्षीय सतेंद्र कुशवाहा (बिंदिया) की मौत एक झोला छाप डॉक्टर की लापरवाही और स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता के कारण हो गई। परिजनों के अनुसार सतेंद्र को हल्का बुखार था। गांव के कथित डॉक्टर गौरव ने बिना किसी जांच के इंजेक्शन लगा दिया, जबकि परिजनों ने मना भी किया था। इंजेक्शन लगने के करीब एक घंटे बाद ही सतेंद्र बेहोश हो गया। जब परिजनों ने गंभीर स्थिति देखी तो बच्चे को प्रेम राघु अस्पताल ले जाया गया, जहां से उसे जिला अस्पताल रेफर किया गया, लेकिन वहां पहुंचने से पहले ही डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। मां-बाप और परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। पिता ने गमगीन स्वर में कहा त्योहार पर खुशियां मनाने वाले थे, अब तो बस हमारे घर में मातम है… हमारा लाल चला गया। इस घटना के बाद ग्रामीणों ने स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही पर कड़ा आक्रोश जताया। ग्रामीणों का कहना है कि झोला छाप डॉक्टर गांवों में खुलेआम जानलेवा इलाज कर रहे हैं और विभाग आंखें मूंदे बैठा है। परिजनों ने प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग से डॉक्टर गौरव के खिलाफ सख्त कार्रवाई और ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य जागरूकता अभियान चलाने की मांग की है। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर दोषियों पर कार्रवाई नहीं हुई तो वे सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करेंगे।

फोटो : मृतक पंद्रह वर्षीय बालक।

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