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नई दिल्ली 14 मई । राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई को भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में पदभार ग्रहण कराया । उन्होंने न्यायमूर्ति संजीव खन्ना का स्थान लिया है। जस्टिस बीआर गवई भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश बने हैं। भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में जस्टिस गवई को शपथ दिलाई। उनका कार्यकाल छह महीने से थोड़ा अधिक रहेगा, जो 23 नवंबर 2025 तक चलेगा। शपथ ग्रहण के बाद चीफ जस्टिस ने अपनी मां से आशीर्वाद लिया।

जस्टिस भूषण गवई की मां ने कड़ी मेहनत एवं दृढ़ संकल्प को अपने बेटे की सफलता का मूल आधार बताते हुए कहा कि उन्होंने गरीबों और जरूरतमंदों की सेवा करके इसे अर्जित किया है। चीफ जस्टिस के तौर पर जस्टिस गवई ने हिंदी में शपथ ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्री अमित शाह, राजनाथ सिंह, जेपी नड्डा, एस. जयशंकर, पीयूष गोयल, अर्जुन राम मेघवाल, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, पूर्व मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद आदि इस समारोह में उपस्थित थे। साथ ही पूर्व चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस गवई के परिवार के सदस्य भी वहां मौजूद थे। शपथ ग्रहण के बाद चीफ जस्टिस गवई ने सभी उपस्थित लोगों का बारी बारी से अभिवादन किया और इस दौरान उन्होंने वहां मौजूद अपनी मां के पैर छुए।

जस्टिस भूषण गवई की मां कमलताई गवई ने मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत में भरोसा जताया कि उनका बेटा अपने नए पद के साथ पूरा न्याय करेगा। मूलरूप से महाराष्ट्र के अमरावती जिला निवासी जस्टिस गवई के पिता दिवंगत आर. एस गवई बिहार, केरल और सिक्किम के पूर्व राज्यपाल रह चुके हैं और वह ‘रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया’ के नेता भी थे। 52 वें चीफ जस्टिस के तौर पर शपथ लेने वाले चीफ जस्टिस गवई का कार्यकाल छह महीने का होगा और वह 23 दिसंबर 2025 को रिटायर हो जाएंगे। चीफ जस्टिस गवई ने 16 मार्च 1985 को वकालत शुरू की थी और नागपुर नगर निगम, अमरावती नगर निगम और अमरावती विश्वविद्यालय के लिए स्थायी वकील के रूप में कार्य किया। अगस्त 1992 से जुलाई 1993 तक वे बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच में सहायक सरकारी वकील और अतिरिक्त पब्लिक प्रोसिक्युटर रहे। 17 जनवरी 2000 को उन्हें नागपुर बेंच के लिए सरकारी वकील और लोक अभियोजक नियुक्त किया गया था।

सुप्रीम कोर्ट में उन्होंने कई संविधान पीठों का हिस्सा रहते हुए ऐतिहासिक निर्णय दिए हैं। दिसंबर 2023 में अनुच्छेद 370 को हटाने के केंद्र के निर्णय को सर्वसम्मति से वैध ठहराने वाली पाँच-न्यायाधीशों की पीठ का वे हिस्सा थे। इलेक्टोरल बॉन्ड मामले में दिए गए फैसले में भी वह बेंच का हिस्सा था। सात-न्यायाधीशों की एक और संविधान पीठ, जिसमें जस्टिस गवई शामिल थे, जिसने 6:1 के बहुमत से यह निर्णय दिया कि अनुसूचित जातियों के भीतर उप-वर्गीकरण किया जाना संविधान सम्मत है ताकि सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों को आरक्षण का लाभ दिया जा सके।

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