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नई दिल्ली 27 मई । आईटीआर दाखिल करने की अंतिम तिथि जो 31 जुलाई 2025 थी, को अब बढ़ाकर 15 सितंबर 2025 करने का निर्णय लिया गया है। सीबीडीटी ने मंगलवार को यह जानकारी दी। सीबीडीटी के अनुसार यह विस्तार ITR फॉर्म, सिस्टम डेवलपमेंट की जरूरतों और TDS क्रेडिट रिफ्लेक्शन में महत्वपूर्ण संशोधनों के कारण अधिक समय प्रदान करेगा। यह कदम सभी के लिए एक सहज और अधिक सटीक फाइलिंग अनुभव सुनिश्चित करता है। औपचारिक अधिसूचना बाद में दी जाएगी। आयकर विभाग ने एक्स पर एक पोस्ट में इसकी घोषणा की। पोस्ट के अनुसार, “कृपया करदाता ध्यान दें! सीबीडीटी ने आईटीआर दाखिल करने की अंतिम तिथि को बढ़ाने का फैसला किया है। इसकी अंतिम तिथि 31 जुलाई 2025 है, जिसे बढ़ाकर 15 सितंबर 2025 कर दिया गया है। यह विस्तार आईटीआर फॉर्म, सिस्टम डेवलपमेंट की जरूरतों और टीडीएस क्रेडिट रिफ्लेक्शन में महत्वपूर्ण संशोधनों को देखते हुए किया गया है। इन संशोधनों के बाद आईटीआर दाखिल करने के दौरान एक सहज और अधिक सटीक फाइलिंग अनुभव सुनिश्चित हो सकेगा। औपचारिक अधिसूचना बाद में दी जाएगी।”

किन आयकरदाताओं को मिलेगा फायदा?

यह समय विस्तार उन व्यक्तियों, एचयूएफ और संस्थाओं पर लागू होता है जिन्हें अपने खातों का ऑडिट करवाने की आवश्यकता नहीं है। वे अब 2024-25 (अप्रैल-मार्च) वित्त वर्ष में अर्जित आय के लिए अपना कर रिटर्न 15 सितंबर तक दाखिल कर सकते हैं। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने एक बयान में कहा कि आईटीआर फॉर्म में बदलावों को शामिल करने और उपयोगिताओं को लागू करने के लिए आयकर प्रणाली तैयार करने के लिए समय सीमा में विस्तार आवश्यक था। इस वर्ष, निर्धारण वर्ष 26 के लिए आईटीआर फॉर्म अप्रैल के अंत और मई के प्रारम्भ में अधिसूचित किए गए, जबकि पिछले वर्ष तक इन्हें जनवरी/फरवरी में अधिसूचित करने की प्रथा थी।

सीबीडीटी ने बताया अंतिम तिथि बढ़ाने का क्या फायदा? 

सीबीडीटी ने कहा, “करदाताओं के लिए एक सुचारू और सुविधाजनक फाइलिंग अनुभव की सुविधा के लिए, यह निर्णय लिया गया है। आईटीआर दाखिल करने की अंतिम तिथि, जो मूल रूप से 31 जुलाई थी, को बढ़ाकर 15 सितंबर, 2025 कर दिया गया है।” कर निर्धारण वर्ष 2025-26 के लिए अधिसूचित आईटीआर में “संरचनात्मक और सामग्री संशोधन” किए गए हैं, जिसका उद्देश्य अनुपालन को सरल बनाना, पारदर्शिता बढ़ाना और सटीक रिपोर्टिंग को सक्षम बनाना है।

इस बार के आयकर फॉर्म्स में सरकार ने क्या बदलाव किए हैं?

सरकार ने 29 अप्रैल को कर निर्धारण वर्ष 2025-26 के लिए आयकर रिटर्न फॉर्म 1 और 4 को अधिसूचित किया है। यह फॉर्म 50 लाख रुपये तक की कुल आय वाले व्यक्तियों, एचयूएफ और उन संस्थाओं की ओर से दाखिल किया जाता है, जिन्हें अपने खातों का ऑडिट नहीं कराना पड़ता। अब, सूचीबद्ध इक्विटी से 1.25 लाख रुपये तक के दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ वाली संस्थाएं आईटीआर 1 और 4 में ऐसी आय दिखा सकती हैं। इससे पहले, उन्हें आईटीआर-2 दाखिल करना जरूरी था। सरकार ने 80सी, 80जीजी और अन्य धाराओं के तहत दावा की गई कटौती के संबंध में फॉर्म में कुछ बदलाव किए हैं। करदाताओं को फॉर्म के चयन के लिए ड्रॉप-डाउन मेनू की भी सुविधा दी जानी है।

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