इलाहाबाद 21 सितंबर । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वाहनों और सोशल मीडिया पर जातीय महिमामंडन के चिह्नों पर प्रतिबंध लगाया जाए। कोर्ट ने यह भी कहा कि स्कूलों में जातिवाद विरोधी पाठ और जागरूकता अभियान चलाए जाएं। यह आदेश न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर की अदालत ने शराब तस्करी मामले के आरोपी प्रवीण छेत्री के खिलाफ लंबित आपराधिक कार्यवाही रद्द करने से इनकार करते हुए दिया। हालांकि, कोर्ट ने पुलिस के दस्तावेज में जाति आधारित एंट्री पर कड़ी आपत्ति जताई। कोर्ट ने मार्च में डीजीपी से हलफनामा तलब किया था, जिसमें पूछा गया था कि किस कानून के तहत पुलिस आरोपी की जाति पूछती है। डीजीपी ने हलफनामे में दावा किया कि जाति से लोगों की पहचान में मदद मिलती है। इस तर्क को कोर्ट ने खारिज कर दिया और कहा कि आज के दौर में पुलिस के पास पहचान के लिए फिंगरप्रिंट, आधार, मोबाइल नंबर और माता-पिता के विवरण जैसे आधुनिक साधन उपलब्ध हैं। कोर्ट ने प्रदेश सरकार को निर्देश दिया कि पुलिस फॉर्म से अनुसूचित जाति/जनजाति संबंधित मामलों को छोड़कर अन्य जाति और धर्म की प्रविष्टियां हटाई जाएं। इसके साथ ही थानों में जाति महिमामंडन वाले साइनबोर्ड नजर न आएं।
29 अप्रैल 2023 को इटावा में प्रवीण छेत्री और अन्य के दो वाहनों की तलाशी के दौरान 300 बोतल अवैध शराब बरामद हुई। दोनों वाहन पर फर्जी नंबर प्लेट थीं। पुलिस का दावा था कि छेत्री शराब तस्करी गिरोह का सरगना था। आरोपी ने सफाई दी कि वह पारिवारिक समारोह में गया था और लिफ्ट ले रहा था, उसका शराब से कोई संबंध नहीं है। ट्रायल कोर्ट में लंबित कार्यवाही को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई, जिसमें पुलिस के दस्तावेज में जाति उल्लेख के आधार पर सवाल उठाए गए।