
सादाबाद 04 अक्टूबर । श्रीराम, सीता और लक्ष्मण 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे। लंकाधिपति रावण पर विजय प्राप्त करने और लंका का राज्य विभीषण को सौंपने के उपरांत उनके आगमन पर भव्य स्वागत किया गया। वनवास के बाद लंका पर विजय प्राप्त कर असुरों का संहार करने के उपरांत श्रीराम, लक्ष्मण, सीता और हनुमान जी रथ में सवार होकर नगर में निकले। नगर के लोगों ने पुष्प वर्षा कर उनका स्वागत किया और आरती उतारी। इस दौरान रामलीला स्थल श्रीराम के जयकारों से गूंज उठा। इसके बाद रामलीला मंच पर समिति के अध्यक्ष गुन्नू उर्फ गिरधारी कौशिक, जयदेव चौधरी और अंकित उपाध्याय ने आरती कर श्रीराम का तिलक किया। इस अवसर पर भारी भीड़ भगवान राम और भरत के मिलाप लीला की साक्षी बनी। जब भरत को राम के आगमन की जानकारी मिली, तो वे राम के पैरों में गिर पड़े और गले लगकर रो पड़े। भगवान राम ने उन्हें उठाकर हृदय से लगा लिया। यह मर्यादा और त्याग का महामिलन था, जिसे देखकर श्रद्धालु भावुक हो उठे। जैसे ही राम और लक्ष्मण को भरत व शत्रुघ्न ने देखा, वे नंगे पैर ही उनकी ओर दौड़ पड़े। भगवान श्रीराम ने भरत को और लक्ष्मण ने शत्रुघ्न को गले लगाया, तो चारों दिशाओं में ‘जय सियाराम’ और ‘हर-हर महादेव’ के जयकारे गूंज उठे।











