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मेरठ 05 दिसंबर । पिछले चार दिन से चल रहे तीर्थधाम चिदायतन प्रतिष्ठा महा-महोत्सव में आज दिन का शुभारम्भ शांतिजाप और भगवान की पूजन-वंदन के साथ हुआ। जहां एक ओर मुनिराज शांतिकुमार की आत्मध्यान में लीन छवि देखते ही बनी। वहीं दूसरी ओर जब वे गांव छोड़ नगर की ओर आहार के लिए चल पड़े, तो सभी ने उन्हें भक्तिभाव पूर्वक आहारदान किया। इस क्रम में समारोह में पधारे श्री अजित प्रसाद जैन परिवार, दिल्ली; श्री निमेश भाई शाह परिवार, मुंबई; श्रीमती रजनी जैन, श्री मुकेश जैन, मेरठ; श्री पारस पारेख परिवार, पुणे; भगवान के माता-पिता परिवार, जबलपुर; श्रीमती मंजू जैन परिवार, गाजियाबाद; श्रीमती सरिता विशु जैन परिवार, सूरत; श्री सुनील जैन परिवार, इटारसी आदि अनेकों श्रद्धालुओं ने मुनिराज शांतिकुमार को आहारदान कर अपना जीवन धन्य किया और फिर मुनिराज शांतिकुमार आहार लेकर वन में चले गए।

दोपहर में एक ज्ञान गोष्ठी का भी आयोजन हुआ। जहां अनुभव जैन, पुणे; ज्ञाता जैन, सिवनी; सुलभ जैन, झांसी; अंकित जैन, आरोन; शुद्धात्म जैन, राजस्थान आदि ने अपने विचार रखे। गोष्ठी का संचालन अनुभव जैन, करेली ने किया। इसी के साथ मुनिराज शांतिनाथ ने तीव्र ध्यानपूर्वक अनंत चतुष्ट प्रगट किया और इन्द्रों ने समवशरण की रचना की। मंच पर सजी अलौकिक समवशरण ने सभी का मन मोह लिया। 12 सभाओं से सुशोभित इस समवशरण में भगवान शांतिनाथ की दिव्यध्वनि का प्रसारण हुआ। इस मौके पर सौधर्मेन्द्र ने सभी इन्द्र व इन्द्राणियों के साथ समशरण में आकर भगवान की स्तुति की, सभी श्रद्धालुओं ने संगीतमय भक्ति का भी आनंद लिया। इन्द्रों ने शांतिनाथ भगवान के केवलज्ञान कल्याण की पूजा कर ज्ञान कल्याणक मनाया। चक्रायुध गणधर की उपस्थिति में ओंकार स्वरूप निरक्षरी दिव्यध्वनि खिरने लगी। ‘जीव चिदानंद स्वरूप है उसका श्रद्धान, ज्ञान, और आचरण करना ही मोक्ष है’- जिसे सभी जीव अपनी-अपनी भाषा में समझने लगे। सायंकालीन सत्र में पण्डित जेपी दोषी, मुम्बई व पण्डित शुद्धात्मप्रकाश भारिल्ल ने अपने प्रवचन के माध्यम से ज्ञानकल्याणक दिवस के महत्व पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम आभार प्रदर्शन समारोह के साथ सम्पन्न हुआ।

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