नई दिल्ली 09 अप्रैल । 26/11 मुंबई आतंकी हमलों के मास्टरमाइंड और साजिशकर्ता तहव्वुर हुसैन राणा को अमेरिका से भारत लाने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। सूत्रों के अनुसार, भारतीय एजेंसियों ने अमेरिका में राणा की कस्टडी ले ली है, और वह कल भारत पहुंच जाएगा। तहव्वुर राणा पर 2008 में हुए मुंबई हमलों की साजिश रचने और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों से संपर्क रखने के गंभीर आरोप हैं। राणा पहले ही अमेरिका में एक अन्य मामले में दोषी ठहराया जा चुका है और भारतीय एजेंसियों ने उसके प्रत्यर्पण की लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी थी। भारतीय जांच एजेंसियों को उम्मीद है कि राणा से पूछताछ में 26/11 की साजिश, पाकिस्तान के आतंकी नेटवर्क, और डेविड कोलमैन हेडली के साथ उसके संबंधों को लेकर कई अहम खुलासे हो सकते हैं। इस कदम को भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और न्याय प्रणाली की बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है। राणा ने मुंबई हमले में मारे गए आतंकियों को मरणोपरांत सर्वोच्च सैन्य सम्मान देने की मांग पाकिस्तान से की थी। अपने प्रत्यर्पण के खिलाफ उसने कई बार अमेरिकी अदालतों में गुहार लगाई। मगर सुप्रीम कोर्ट से अपील खारिज होने के बाद भारत आने का रास्ता साफ हो गया।
ट्रंप ने किया था भारत भेजने का एलान
हमले से पहले मुंबई भी आ चुका राणा
अमेरिकी अदालतों में पेश दस्तावेजों के मुताबिक राणा और डेविड हेडली मुंबई हमलों की साजिश रचने वाले मुख्य शख्स थे। दोनों के आईएसआई अधिकारी मेजर इकबाल से घनिष्ठ संबंध थे। जांच में यह भी सामने आया कि तहव्वुर राणा ने दुबई से मुंबई की यात्रा की थी। पुलिस की जांच रिपोर्ट बताता है कि वह 11 से 21 नवंबर 2008 तक पवई स्थित रेनेसां होटल में ठहरा था। उसके जाने के पांच दिन बाद यानी 26 नवंबर को मुंबई आतंकी हमलों से दहल उठा था।
डिटेंशन सेंटर में बंद है राणा
अमेरिका ने साल 2009 में डेविड हेडली को गिरफ्तार किया था। हेडली की मां का संबंध पाकिस्तान से है। वहीं पिता अमेरिकी नागरिक हैं। इस कारण हेडली के पास अमेरिका की नागरिकता है। पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक तहव्वुर राणा अभी लॉस एंजिलिस के एक मेट्रोपोलिटन डिटेंशन सेंटर में है। 2011 में राणा को दोषी ठहराया गया था। उसे 13 साल जेल की सजा सुनाई गई थी।
मुंबई हमले में गई थी 166 की जान
26 नवंबर 2008 को लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने मुंबई पर हमला किया था। ये आतंकी नाव के सहारे देश की आर्थिक राजधानी पहुंचे थे। हमले में 18 सुरक्षाकर्मियों समेत 166 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। 300 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। सुरक्षाबलों ने 4 दिन बाद आतंकी कसाब को जिंदा पकड़ने में कामयाबी हासिल की थी।