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मथुरा (वृंदावन) 19 मई । अयोध्या और काशी की तर्ज पर अब कृष्ण की नगरी वृंदावन में भी भव्य बांकेबिहारी कॉरिडोर बनने जा रहा है। पांच एकड़ क्षेत्र में प्रस्तावित इस कॉरिडोर के निर्माण का रास्ता साफ हो चुका है। जिला प्रशासन अब भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी कर रहा है। वृंदावन का यह प्रस्तावित कॉरिडोर न केवल श्रद्धालुओं के लिए अत्याधुनिक सुविधाएं लेकर आएगा, बल्कि उन्हें कृष्णकाल की अनुभूति भी कराएगा। आने वाले समय में यह कॉरिडोर देश-विदेश से आने वाले भक्तों के लिए एक आस्था और आकर्षण का केंद्र बनने जा रहा है।

द्वापर युग की झलक देंगे पौधे
इस कॉरिडोर की विशेषता यह होगी कि इसमें कृष्णकालीन पौधे लगाए जाएंगे — कदंब, करील और लता-पताएं — जो द्वापर युग का अद्भुत अहसास कराएंगे। जैसे-जैसे भक्त मंदिर की ओर बढ़ेंगे, वैसे-वैसे उनकी भक्ति और श्रीबांकेबिहारी जी से मिलने की जिज्ञासा भी बढ़ती जाएगी।

तीन तरफ से खुला कॉरिडोर, सुविधाओं से होगा युक्त
वर्तमान में जहां भक्तों को संकरी गलियों और भीड़भाड़ से जूझना पड़ता है, वहीं इस नए कॉरिडोर में तीन ओर से चौड़े रास्तों की व्यवस्था की जा रही है। यह सभी रास्ते सीधे कॉरिडोर से जुड़े होंगे। पूरे क्षेत्र को तीन हिस्सों में विभाजित किया गया है — पहला हिस्सा मंदिर परिसर, और अन्य दो हिस्से भक्तों की सुख-सुविधाओं के लिए समर्पित होंगे।

विशाल प्रतीक्षालय से लेकर चिकित्सा सुविधा तक
भक्तों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए यहां विशाल प्रतीक्षालय, सामान व जूता घर, पेयजल केंद्र, प्राथमिक चिकित्सा सेवा और शिशु देखभाल केंद्र भी प्रस्तावित हैं। इससे दर्शन के समय होने वाली असुविधा से भक्तों को पूर्ण राहत मिलेगी।

प्राचीन मंदिर भी आएंगे श्रद्धालुओं के निकट
कॉरिडोर के पास ही स्थित प्राचीन मंदिर श्रीमदन मोहन और श्री राधावल्लभ भी अब ठाकुर श्रीबांकेबिहारी के भक्तों की आस्था का केंद्र बनेंगे। वर्तमान में ये मंदिर कम भीड़ के कारण उपेक्षित हैं, लेकिन कॉरिडोर से इनका महत्व भी पुनर्जीवित होगा। ये दोनों मंदिर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन संरक्षित हैं और कॉरिडोर के दोनों ओर स्थित होने से आस्था की त्रिवेणी बनेंगे।

गौड़िया मठ और राधा-कृष्ण की झलक
कॉरिडोर परिसर में राधागोपाल, राधाबिहारी और केशव-जू के दर्शनों का भी विशेष प्रावधान होगा। गौड़िया मठ की उपस्थिति इस पूरे क्षेत्र को आध्यात्मिक आभा से भर देगी।

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