
अलीगढ़ 03 अप्रैल । मंगलायतन विश्वविद्यालय के 11वें दीक्षांत समारोह में बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने शिरकत की और उन्होंने विद्यार्थियों को भविष्य के लिए शुभकामनाएं देते हुए देश के विकास में योगदान देने के लिए प्रेरित किया। शिक्षा के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि आज के युग में यह एक शक्तिशाली उपकरण है जो व्यक्तियों और समाज को प्रगति की ओर ले जाता है। विद्यार्थियों को लगातार सीखने और अपने ज्ञान का उपयोग मानवता की सेवा में करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने गुरु को श्रद्धा का अधिकारी बताते हुए कहा कि दुनिया में सिर्फ माता-पिता व गुरु चाहते है उनका बच्चा उन्हें पीछे छोड़कर आगे निकले। श्रद्धा जितनी ज्यादा होगी उतना ही ज्ञान अर्जन में आसानी होगी। विद्या का एक उद्देश्य यह भी है कि हम सम्मान जनक जीवन बिता सकें और अर्थ पैदा कर सकें। जब अर्थ आएगा तो उससे धमार्थ के कार्य भी कर सकेंगे। उन्होंने पांडवों की कहानी सुनाते हुए धर्म व रिलीजन के अलग-अलग होने का अर्थ बताया। उन्होंने कहा कि शिक्षा देने का कार्य सबसे बड़ा धर्म है, क्योंकि शिक्षा व्यक्ति व समाज के सशक्तिकरण के लिए है। विश्वविद्यालय में आकर जिसका दूसरा जन्म नहीं हुआ है, जिसने मानस का विस्तार नहीं किया है तो आप सिर्फ साक्षर हो गए हैं, शिक्षित नहीं हुए। शिक्षा का फल बताते हुए बताया कि जो हम विद्या प्राप्त करते हैं उसे धारण करके तेज का रूप धारण करना चाहिए। समाज व देश को आलोकित करे तभी विद्या का वास्तविक उद्देश्य पूरा होता है। उन्होंने बात कला को प्रखर करने व कर्म का मर्म बताते हुए कहा कि सही शब्दों का चयन और उसके माध्यम से अपनी बात कहना कर्म है। यदि आप सही शब्दों का प्रयोग नहीं करते तो इसका मतलब यह है कि आप समस्या को समझते ही नहीं है। जब समझेंगे तो नहीं तो समाधान कहां से लाएंगे। संस्कार व संस्कृति के पहली पाठशाला मां की गोद व पिता का संरक्षण होता है। हमारी संस्कृति व संस्कार नहीं मिटे भले ही परिस्थितियां विपरती रहीं हों। हजारों साल पहले जो आदर्श और मूल्य भारतवासियों को प्रेरित करते थे वह आज भी हमारे लिए प्रेरणा के स्त्रोत हैं। विधिविता व एकता ही भारतीय संस्कृति की पहचान है। हमारी संस्कृति हमें बताती है यह दुनिया विविधता से भरी हुई है। इसका सम्मान करना चाहिए। जो इस वास्तविकता को नहीं देख पाएगा उसे कभी मोक्ष प्राप्त नहीं होगा। भारतीय संस्कृति ही पूरी दुनिया को शांति का रास्ता दिखा सकती है।
अकादमिक उत्कृष्टता और उत्साह के माहौल में दीक्षांत समारोह विश्वविद्यालय प्रांगण में आयोजित हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों ने मां सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्वलित कर किया। इस दौरान कुल गीत की प्रस्तुति दी गई। कार्यक्रम में चेयरमैन हेमंत गोयल व गुरु ऋषिराज महाराज का सानिध्य प्राप्त हुआ। कुलपति प्रो. पीके दशोरा ने वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की और उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को शपथ दिलाई। इस गरिमामय समारोह में विभिन्न विषयों के विद्यार्थियों को उनकी अकादमिक उपलब्धियों के लिए उपाधियां प्रदान की गईं। इनमें स्नातक, स्नातकोत्तर, पीजी डिप्लोमा धारक, डिप्लोमा और प्रमाणपत्र धारक भी शामिल रहे। इसमें पीएचडी शोधार्थी भी शामिल हैं जो अनुसंधान ज्ञान के नए आयाम खोलेंगे। आठ को स्वर्ण पदक और नौ को रजत पदक मिले।
प्रो. राजीव शर्मा, प्रो. अब्दुल वदूद सिद्दिकी, प्रो. किशनपाल सिंह, प्रो. आरके शर्मा ने उपाधि धारकों को प्रस्तुत किया। सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। अतिथियों ने दीक्षांत समारोह की स्मारिका का विमोचन किया। आयोजन कुलसचिव बिग्रेडियर समरवीर सिंह व संयुक्त कुलसचिव प्रो. दिनेश शर्मा के नेतृत्व हुआ। इस अवसर पर एमएलसी ऋषिपाल सिंह, यूएमयू रांची की कुलपति प्रो. मधुलिका कौशिक, एएमयू के प्रति कुलपति प्रो. मोहम्मद गुलरेज, एमटीएसओयू के कुलपति प्रो. परवेज मसूद, एएमयू के प्रो. अब्दुला बुखारी, सहित सभी विभागों के डीन, विभागाध्यक्ष व छात्र-छात्राएं आदि उपस्थित रहे। संचालन डा. स्वाति अग्रवाल ने किया। राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।
इनको मिल स्वर्ण पदक