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हाथरस 26 जुलाई । जिला कृषि रक्षा अधिकारी निखिल देव तिवारी ने जानकारी दी है कि जनपद हाथरस में हर वर्ष फसलों को कीट, रोग, खरपतवार और अन्य कारणों से लगभग 7 से 25 प्रतिशत तक की क्षति होती है। इस क्षति में सर्वाधिक 33 प्रतिशत नुकसान खरपतवारों के कारण होता है, जबकि 26 प्रतिशत रोगों, 20 प्रतिशत कीटों, 7 प्रतिशत भंडारण कीटों, 6 प्रतिशत चूहों और 8 प्रतिशत अन्य कारणों से होता है। उन्होंने बताया कि खरीफ सीजन की प्रमुख फसल धान का आच्छादन क्षेत्र लगभग 56145 हेक्टेयर है, और वर्तमान में इसकी बुवाई/रोपाई का कार्य लगभग पूर्ण हो चुका है। ऐसे में किसानों को खरपतवार नियंत्रण हेतु वैज्ञानिक उपाय अपनाने की सलाह दी गई है।

धान की फसल में पाए जाने वाले खरपतवार

  • सकरी पत्ती वाले खरपतवार – सॉवा, मकरा, मौथा, कौदो, दूब घास, जंगली धान आदि।
  • चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार – जंगली मिर्च, पान पत्ती, फूलबूटी, साथिया, जलकुंभी, जंगली बकव्हीट आदि।

खरपतवार नियंत्रण के उपाय

1. खुरपी से निराई-गुड़ाई करें, विशेषकर जहां मजदूर उपलब्ध हों।

2. सकरी पत्ती वाले खरपतवार हेतु

  • रोपाई के 21–25 दिन बाद
  • बिसपायरीबैक सोडियम 10% SC की 200–250 मि.ली./हे. की दर से
  • लगभग 500 लीटर पानी में घोलकर नमी युक्त खेत में छिड़काव करें।

3. प्रेटिलाक्लोर 50% EC

  • रोपाई के 3–5 दिन के भीतर

  • 1.25–1.5 लीटर/हे. की दर से छिड़काव करें।

4. चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार हेतु

  • रोपाई के 20–25 दिन बाद
  • 2,4-D (625 ग्राम/हे.) अथवा
  • मैटसल्फ्यूरान मिथाइल 20% WP (20 ग्राम/हे.)
  • को 500 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।

5. सकरी और चौड़ी दोनों प्रकार के खरपतवारों के संयुक्त नियंत्रण हेतु

  • मैटसल्फ्यूरान मिथाइल 10% + क्लोरोमुरान एथिल 10% WP की
  • 20 ग्राम मात्रा/हे. को
  • 500 लीटर पानी में घोलकर,
  • रोपाई के 20–25 दिन बाद फ्लैटफैन नोजल से छिड़काव करें।

कृषि विभाग ने किसानों से अनुरोध किया है कि वे निर्धारित मात्रा एवं समय पर दवाओं का छिड़काव करें ताकि फसल को होने वाले नुकसान को कम किया जा सके और उत्पादन में वृद्धि हो सके।

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