हाथरस 23 जुलाई । भारत माता के दो महान सपूतों—शहीद चंद्रशेखर आज़ाद और लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की जयंती के अवसर पर आज ब्रज कला केंद्र के तत्वावधान में श्रद्धांजलि समारोह एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ शहीद भगत सिंह पार्क स्थित चंद्रशेखर आज़ाद की प्रतिमा एवं बाल गंगाधर तिलक के चित्र पर माल्यार्पण कर किया गया। इस अवसर पर संस्था के अध्यक्ष चंद्रगुप्त विक्रमादित्य समेत उपस्थित साहित्यकारों ने दोनों महापुरुषों को नमन करते हुए उनके योगदान को याद किया। तत्पश्चात श्री राधाकृष्ण कृपा भवन, आगरा रोड स्थित कार्यालय में वरिष्ठ साहित्यकार एवं चिकित्सक डॉ. ओमप्रकाश शर्मा ‘चाचा हाथरसी’ की अध्यक्षता में एक गरिमामयी काव्य गोष्ठी का आयोजन हुआ। गोष्ठी का संचालन कवि दीपक रफी ने किया। ब्रज कला केंद्र के अध्यक्ष चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने कहा, “लोकमान्य तिलक भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अग्रदूतों में से थे। वे न केवल राष्ट्रवादी नेता, बल्कि शिक्षक, वकील एवं समाज सुधारक भी थे। उन्होंने स्वराज को जनता का जन्मसिद्ध अधिकार बताया। वहीं चंद्रशेखर आज़ाद ने युवावस्था में ही अंग्रेजी हुकूमत को चुनौती देते हुए बलिदान दिया और अपने प्रसिद्ध वाक्य ‘दुश्मन की गोलियों का हम सामना करेंगे, आज़ाद ही रहे हैं, आज़ाद ही रहेंगे’ से इतिहास रच दिया।”
ब्रज कला केंद्र के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव आशु कवि अनिल बोहरे ने कहा कि “तिलक को ‘लोकमान्य’ की उपाधि जनता ने दी, जो यह दर्शाता है कि वे जनता के सच्चे नेता थे।” वरिष्ठ साहित्यकार श्याम बाबू चिंतन ने तिलक के प्रसिद्ध नारे को उद्धृत करते हुए कहा, “स्वराज्य हा माझा जन्मसिद्ध हक्क आहे आणि तो मी मिळवणारच” (स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगा), जो आज भी युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है। कार्यक्रम अध्यक्ष ओमप्रकाश शर्मा ‘चाचा हाथरसी’ ने तिलक के कट्टरपंथी राष्ट्रवाद और चंद्रशेखर आज़ाद की युवाओं के लिए प्रेरक भूमिका पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर पं. अविनाश चंद्र पचौरी एवं कवि रोशन लाल वर्मा ने कहा कि तिलक ने महिलाओं की शिक्षा और सामाजिक समानता के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया।
संस्कार भारती के अध्यक्ष चेतन उपाध्याय ने भावपूर्ण काव्य पाठ करते हुए कहा: “सूरज सितारे सारे हैं तुम्हारे हमारे, तो सर नींव के हैं ईंट-गारे!”
कार्यक्रम में प्रभु दयाल दीक्षित ‘प्रभु’, हरिशंकर वर्मा, बीना गुप्ता एडवोकेट, बाबा देवी सिंह ‘निडर’, राधाकृष्ण शर्मा, कपिल नरूला, पियूष अग्निहोत्री, विष्णु कुमार, नारायण प्रसाद पिप्पल, पन्नालाल सहित अनेक गणमान्य साहित्यकार एवं संस्कृति प्रेमी उपस्थित रहे।