हाथरस 27 सितम्बर । विश्व हिन्दू परिषद मातृशक्ति दुर्गावाहिनी के तत्वावधान में आज दुर्गा अष्टमी के पावन अवसर पर भव्य महिला संगोष्ठी एवं डांडिया महोत्सव का आयोजन बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ संपन्न हुआ।कार्यक्रम में जिसमें नगर की महिलाओं, युवतियों, समाजसेवियों और विद्वानों की उल्लेखनीय उपस्थिति रही। पूरे आयोजन स्थल पर श्रद्धा और उत्साह का वातावरण देखते ही बनता था।एक बालिका द्वारा महिषासुर मर्दिनी पर नृत्य नाटिका भी प्रस्तुत की गई।
कार्यक्रम का शुभारंभ माँ दुर्गा, भारत माता एवं माँ के नौ स्वरूपों की विधिवत पूजा-अर्चना से हुआ। दीप प्रज्वलन के साथ मंगलमय वातावरण का सृजन हुआ। संगोष्ठी की अध्यक्षता श्रीमती निवेदिता मोहता (समाजसेविका) ने की, जबकि मुख्य अतिथि के रूप में वंदना अग्रवाल, मुख्य वक्ता के रूप में श्रीमती रीना शर्मा (क्षेत्र संयोजिका, दुर्गा वाहिनी, मेरठ क्षेत्र) तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. सुषमा यादव (प्राचार्या, आर. डी. गर्ल्स कॉलेज), विद्या वर्तके (प्रधानाचार्या, बी.एल.एस. इंटरनेशनल स्कूल) भी कार्यक्रम में सम्मिलित हुईं।
समाज की मातृशक्ति को सजग एवं सतर्क रहना अति आवश्यक है और सजगता से ही सांस्कृतिक व संस्कारित समाज का निर्माण संभव है। उक्त विचार विश्व हिंदू परिषद मातृशक्ति संगोष्ठी को संबोधित करते हुए दुर्गा वाहिनी की क्षेत्रीय संयोजिका रीना शर्मा ने संबोधित करते हुए कही। उन्होंने आगे कहा माताओं, बहनों को परिवारों में संस्कार स्थापित करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है।अपनी वीरांगनाओं से प्रेरणा लेकर आदर्श समाज की स्थापना करनी है, तभी देश और राष्ट्र को बचाया जा सकता है। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में निवेदिता मोहता ने कहा कि नारी शक्ति के बिना समाज की कल्पना अधूरी है। जिस प्रकार माँ दुर्गा ने असुरों का विनाश कर धर्म की स्थापना की, उसी प्रकार आज की महिलाएँ भी शिक्षा, समाज सेवा, राजनीति, विज्ञान और कला के माध्यम से समाज और राष्ट्र के निर्माण में अपना अमूल्य योगदान दे रही हैं। उन्होंने उपस्थित महिलाओं से आह्वान किया कि वे आत्मनिर्भर बनकर नई पीढ़ी को संस्कार और साहस की दिशा दें। शिवानी जी, प्रांत सह संयोजिका, दुर्गा वाहिनी, ने नशा मुक्ति के बारे में महिलाओं को जागरूक किया एवं शपथ दिलाई की समाज की कोई भी नशा नहीं करेंगी।
मुख्य अतिथि वंदना अग्रवाल ने कहा कि दुर्गा अष्टमी केवल धार्मिक आस्था का पर्व ही नहीं, बल्कि यह नारी की शक्ति और सामर्थ्य का प्रतीक है। महिलाओं को समान अधिकार और अवसर प्रदान करना समय की आवश्यकता है। विशिष्ट अतिथि डॉ. सुषमा यादव ने कहा कि नारी शिक्षा और संस्कृति की संवाहक है, और उसका सम्मान समाज की प्रगति का पहला कदम है। संगोष्ठी के पश्चात सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन हुआ। नारी शक्ति पर आधारित कविताओं, गीतों और नृत्य-नाटिकाओं ने उपस्थित जनसमूह को भावविभोर कर दिया। डांडिया महोत्सव कार्यक्रम का विशेष आकर्षण रहा, जिसमें पारंपरिक परिधानों में सजी महिलाओं और युवतियों ने गरबा और डांडिया की प्रस्तुतियों से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। ताल और लय के संगम ने पूरे वातावरण को आनंद और उल्लास से भर दिया। कार्यक्रम स्थल पर भारी भीड़ उमड़ी रही। महिलाओं की उपस्थिति ने इसे एक सामाजिक उत्सव का रूप प्रदान कर दिया। आयोजन समिति की ओर से उपस्थित अतिथियों और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा गया कि ऐसे आयोजनों से समाज में नारी शक्ति के महत्व को और गहराई से समझा जा सकता है। कार्यक्रम का समापन माँ दुर्गा के जयघोष के साथ हुआ। यह भव्य आयोजन नारी सम्मान, सांस्कृतिक चेतना और सामाजिक एकता का सशक्त संदेश देकर संपन्न हुआ। विश्व हिन्दू परिषद की यह पहल महिला सशक्तिकरण और भारतीय संस्कृति के संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना गया।
कार्यक्रम में प्रांत संघटन मंत्री उमाकांत उपाध्याय, दीप्ति वार्ष्णेय जिला उपाध्यक्ष, विहिप जिला उपाध्यक्ष गोपाल कृष्ण शर्मा,प्रवीण खंडेलवाल, जिला मंत्री, देवराज नगर संगठन मंत्री, ,डॉ. पी. पी. सिंह, नवीन गुप्ता एपैक्स, डॉ. अमित भार्गव, करीना सिंघल प्रधानाचार्या विनायक इंटरनेशनल स्कूल, कामना शर्मा, महक रावत जिला संयोजिका दुर्गा वाहिनी, प्रियांशी वार्ष्णेय नगर सह संयोजिका दुर्गा वाहिनी, रागिनी वार्ष्णेय, कल्पना वार्ष्णेय, डिंपल वार्ष्णेय, श्वेता वार्ष्णेय, प्रिया गौड़, अनीता चौधरी, मनोज कुमारी आदि महिलाएँ विशेष रूप से उपस्थित रहीं।