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हाथरस 06 अप्रैल। चैत्र नवरात्र के आखिरी दिन आज राम नवमी की धूम रही। भक्तों ने नवमी पर मां सिद्धिदात्री की उपासना की। नवमी के मौके पर अधिकांश घरों में कन्या और लांगुराओं को जिमाया गया। बौहरे वाली देवी मंदिर, शांता माता मंदिर, शीतला माता मंदिर, चामुण्डा मंदिर, आदि मंदिरों  पर भी दिनभर प्रसाद वितरण किया गया।  कई मंदिरों पर छप्पन भोग के भी दर्शन भक्तों ने किए। देवी मंदिरों में दिन भर पूजा अर्चना के लिए भक्तों की जबरदस्त भीड़ रही। धक्का मुक्की और मारामारी के बीच भक्तों ने माता रानी के दर्शन कर जलाभिषेक किया और चना-हलुवा आदि का भोग लगाया। सुबह से लगी दर्शन के लिए मंदिरों में भक्तों की लाइन देर रात तक लगी हुई थी। पूरा माहौल घंटे घड़ियालों की टंकार और महामाई के जयघोषों से गूंज रहा था। मंदिरों पर जगह-जगह शिविर लगे हुए थे। देवी मां की मनोहारी झांकी सजाकर भक्ति गीतों पर लोग झूम रहे थे। भोर की पहली किरण से ही भक्तों का देवी मंदिरों पर जुटना शुरू हो गया था। घरों में परिवार के लोगों ने सामूहिक रूप से माता की अज्ञारी और पूजा-अर्चना की और उसके बाद देवी मंदिरों पर जाकर परिवार की सुख शांति के लिए माता रानी से मन्नत मांगी। देवी मंदिरों पर जलाभिषेक करने के लिए भक्तों की लंबी लाइन लगी हुई थी। भक्तों में देवी मां को जल चढ़ाने के दौरान धक्का-मुक्की भी हुई। मारा मारी के बीच ही भक्तों ने माता रानी का जलाभिषेक किया। देवी मंदिरों के लिए जाने वाले रास्तों पर देर रात तक भक्तों की भीड़ उमड़ने से जाम जैसे हालत रहे। पहले नवरात्र पर जिन घरों में कलश स्थापित किए गए, उन्हें देवी मंदिरों पर जाकर विसर्जित किया गया।

शहर में जगह जगह निकाले गए डोला
रामनवमी से पहली रात शहर में जगह-जगह मइया के डोला निकाले गए। शहर में तमाम जगहों पर भक्तों ने डोला की सजावट कर उसमें मइया की प्रतिमा स्थापित की। रंग बिरंगी लाइटों से सजे डोलों और भक्तिगीतों की मधुर धुनों से भक्ति की बयार बह रही थी। छोटी कन्याओं का श्रृंगार कर उन्हें डोले में बिठाया गया। देर रात तक दर्जनों डोला बौहरे वाले देवी मंदिर पर एकत्रित हो गए। मंदिर पर रातभर भक्ति की बरसात हुई और भक्तों ने जमकर ठुमके लगाए।

कन्या लांगुराओं की गई खातिरदारी

रामनवमी पर शहर भर में भक्तिरस की बारिश हुई। मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ रही तो घर घर कन्या लांगुराओं की भी खातिरदारी की गई। आस पड़ौस से कन्याओं को ढूंढकर लाया गया। कन्याओं को एकत्रित कर उन्हें दावत दी गई और देवी स्वरूप कन्याओं की पूजा भी गई। कन्याओं को चुनरी आदि भेंट की गई। नवरात्रों में कन्याओं को देवीस्वरूप मानकर उन्हें भोजन कराया जाता है। शनिवार के बाद रविवार को भी कन्या लांगुरा जिमाए गए। इसके अलावा भक्तों ने मंदिरों पर जाकर कन्याओं को प्रसाद वितरण किया।

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