
हाथरस 16 दिसंबर । हाथरस कलेक्ट्रेट में वर्ष 2014 से 2020 के बीच एक बाबू ने डीएम के फर्जी अनुमोदन और ओसी कलेक्ट्रेट के फर्जी हस्ताक्षर का इस्तेमाल कर आतिशबाजी निर्माण व भंडारण के 18 लाइसेंस जारी किए। मामला वर्ष 2023 में सामने आया, जिसके बाद बाबू को निलंबित कर एडीएम न्यायिक की अध्यक्षता में जांच समिति गठित की गई। जांच समिति ने विभागीय और आपराधिक कार्रवाई की सिफारिश की थी, लेकिन रिपोर्ट दबा दी गई। अब यह मामला कोर्ट तक पहुँच गया है। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट जय हिंद कुमार सिंह ने डीएम से 15 दिन के भीतर जांच आख्या मांगी है और मामले की सुनवाई के लिए 18 दिसंबर की तिथि निर्धारित की है। जांच में पाया गया कि लाइसेंसों पर तत्कालीन डीएम के अनुमोदन दर्शाए गए, जबकि मूल आदेश या पत्रावली उपलब्ध नहीं थी। ओसी कलेक्ट्रेट के हस्ताक्षर भी फर्जी पाए गए। इससे प्रशासनिक प्रक्रिया पर सवाल उठे हैं और आमजन की सुरक्षा भी खतरे में पड़ गई। जिलाधिकारी अतुल वत्स ने मामले को गंभीर बताया और कहा कि पत्रावलियों का अवलोकन कर संलिप्त लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। जांच समिति ने टिप्पणी की कि यदि इन फर्जी लाइसेंसों से अवैध रूप से बेची जा रही आतिशबाजी में दुर्घटना घटित होती, तो जिम्मेदारी स्पष्ट नहीं होती। फर्जी लाइसेंस धारकों में राकेश कुमार, अजय कुमार, कपिल गुप्ता, धर्मेंद्र कुमार, उदयप्रकाश, हमवीर सिंह, हुकुम चंद, अनीता शर्मा, चंद्र प्रकाश, आशीष कुमार गुप्ता, लक्ष्मी देवी सहित अन्य सात लोग शामिल हैं। सभी लाइसेंस 2014 से 2020 के बीच जारी किए गए थे। जांच समिति की रिपोर्ट के बाद कलेक्ट्रेट में न्यायिक सहायक के पद पर तैनात रामप्रकाश कुलश्रेष्ठ को 24 अक्टूबर 2024 को निलंबित कर दिया था। फिलहाल वह कलेक्ट्रेट से सम्बद्ध हैं और किसी भी पटल पर तैनात नहीं किया गया है।












