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हाथरस 09 अक्टूबर । तहसील सिकंदराराऊ एवं हाथरस क्षेत्र के ग्रामों में पराली जलाने की घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए उपनिदेशक कृषि ने कृषक भाइयों को चेतावनी दी है कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के आदेशानुसार फसल अवशेष जलाना एक दंडनीय अपराध है। उन्होंने बताया कि राजस्व विभाग के आदेश (13 नवम्बर 2017) एवं उसके संशोधित प्रावधानों के अनुसार पराली जलाने पर पर्यावरण क्षतिपूर्ति (Environmental Compensation) की वसूली के निर्देश दिए गए हैं कि 2 एकड़ से कम क्षेत्र के लिए ₹5,000, 2 से 5 एकड़ क्षेत्र के लिए ₹10,000 एवं 5 एकड़ से अधिक क्षेत्र के लिए ₹30,000 तक का जुर्माना निर्धारित किया गया है। यदि किसी व्यक्ति द्वारा पराली जलाने की पुनरावृत्ति की जाती है, तो राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम की धारा 24 एवं 26 के अंतर्गत अर्थदंड एवं अन्य कानूनी कार्रवाई की जाएगी। उपनिदेशक कृषि ने जनपद में संचालित कंबाइन हार्वेस्टर मालिकों को भी निर्देशित किया है कि वे अपने हार्वेस्टर में सुपर स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम (Super Straw Management System) का उपयोग अनिवार्य रूप से करें। यदि बिना इस प्रणाली के कोई कंबाइन संचालित पाया गया, तो उसे तत्काल सीज कर आवश्यक कानूनी कार्यवाही की जाएगी। अधिकारी ने किसानों से अपील की कि वे पराली न जलाएं, बल्कि इसे खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए वैकल्पिक तकनीकों के माध्यम से उपयोग करें, जिससे मिट्टी, पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य सभी की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।

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