हाथरस 16 सितंबर । ब्रज की द्वार देहरी हाथरस में श्री मोहिनीबिहारी संकीर्तन मंडल के द्वारा दो दिवसीय हरिदासोत्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ श्री हरिनारायण व्यायामशाला (छबीली बाग) पर मनाया गया। वृन्दावन के दिव्यधाम श्री टटियास्थान से पधारे संतों ने हवेली संगीत द्रुपद गायन के माध्यम से बधाई मंगल गान किया। हाथरस के रसिकाचार्यो ने इस उत्सव में बढ़चढ कर भाग लिया। नगर के भजन गायकों ने अपनी मधुर वाणी से बधाई गाकर सबको मंत्रमुग्ध किया विशाल भडारा देर रात तक बदस्तूर जारी रहा। हाथरस की द्वार देहरी पर श्री मोहिनी बिहारी संकीतन मंंडल, हाथरस दो दशको से नि:शुल्क निस्वार्थ श्री हरि नाम संर्कीतन का प्रचार प्रसार करता चला आ रहा है। विगत वर्षो की भाति गतवर्ष श्री मोहनीबिहारी संर्कीतन मंडल के तत्वाधान में स्वामी का 547 वां दो दिवसीय प्राकट्योत्सव श्री हरिदासोत्सव के रूप में आरंभ हुआ जो संकीर्तन मंडल का सातवां आयोजन है। आयोजन का मुख्य उद्देश स्वामी श्री हरिदास देव जू की परम्परा को मानने वालों को संग्रहीत करना व उनकी मुख्य धारा से जोडना है । इस उत्सव का शुभारंभ सात वर्ष पूर्व बहुत ही छोटे रुप में संकीर्तन मंडल के सदस्यों ने मिलकर किया था जो इस वर्ष दो दिवसीय रुप में वृहद स्तर पर किया गया है।शनिवार दिनाँक 14 सितम्बर2024 को जिसका शुभारंभ श्री श्यामा प्यारी कुंज बिहारी जय जय श्री हरिदास दुलारी के एक दिवसीय अंखड नाम संकीतन से हुआ। जोकि घनघोर वर्षा के बाबजूद निर्विघन रूप से जारी रहा। नाम संर्कीतन के समापन के बाद द्वितीय दिवस दिनाँक 15 सितम्बर 2024 को हरिदासोत्सव का आगाज बगीची स्थित श्री गलकटेश्वर महादेव के रुद्राभिषेक के साथ हुआ जो नगर के विद्धवान वेदपाठी ब्राह्मणो द्वारा मंत्रोचार के साथ विधि विधान के साथ संपन्न कराया तदुपरांत श्री स्वामी हरिदास जी महाराज का पंचामृताभिषेक एवं पूजन किया गया । उक्त क्रम की अहम भूमिका हिमांशू गुप्ता (तुरसेन) व गोपाल वार्ष्णेय (सासनी) ने निभाई।
मध्यान में विप्र पूजन की परम्परा का निर्वाहन किया गया। सभी आमंत्रित विप्रों को भोजन प्रसादी ग्रहण कराकर दक्षिणा देकर विदा किया साथ ही सभी हरिदासी अनुयाइयों ने विप्रजनों का आर्शीवाद ग्रहण किया इसके बाद श्री धाम वृदावन के टटिया स्थान से पधारे स्वामी जी के अनुयायी संतों का आगमन हुआ जिनका श्री मोहिनी बिहारी संकीर्तन मंडल के सभी सदस्यों ने विधि विधान से मर्यादा के अनुरुप स्वागत सम्मान किया जो हाथरस की पावन धरा पर टटिया स्थान के इतने संतों का एक साथ आगमन पहली बार हुआ है। आयोजनकर्ताओं ने हन्नों लाला की बगीची में श्री टटिया स्थान की मर्यादा के अनुरूप श्री मोहिनीबिहारी बिहारिन जू का लता पताओं के बीच फूल बंगला सजवाया जिसकी छटा मन मोहक लग रही थी। वही लगे छप्पन भोग सुन्दरता में चार चांद लगा रहे थे। चौ तरफा से आ रही शीतल सुगंधित व्यार सभी को आनंदित कर रही थी। सांय चार बजे श्री धाम वृन्दावन से पधाने संतों का समाज गायन बाबा श्री किशोरीशरण भक्तमाली (मुखिया जी) के सानिध्य में आरंभ हुआ । यह लगभग तीन घंटों तक चला जिसे सभी श्रोता मंत्रमुग्ध होकर हवेली संगीत को श्रवण करते रहे। समाज गायन के दौरान मुखिया जी ने इस हवेली संगीत समाज गायन विधा के बारे सभी को विस्तृत जानकारी दी जो अपने आप में अनूठी पहल थी। ध्रुपद गायन का समापन श्री स्वामी हरिदास जी के प्राक्टय उत्सव की बधाई मंगल गायन से हुआ जिसको सुनकर सभी श्रोता मस्ती में झूम उठे। आयोजकों नें इस दौरान सभी को बधाई वितरित की। उत्सव के अंतिम दौर में साँय 7 बजे से भजन संध्या (बधाई गायन) का भव्य आयोजन किया गया जिसमें नगर हाथरस व अन्य शहरों से पधारे बृज रसिक ने बडे ही उल्लास के साथ भाग लिया जो देर रात तक बधाई मंगलगायन का सिलसिला बदस्तूर जारी रहा। गायकों की गायकी नें श्रोताओं के हृदय में इस कदर आनंद से अभिभूत किया कि सभी मूक दर्शक बनकर भजन रस में सरावोर रहे। सध्या काल से आरंभ हुई प्रसादी देर रात तक चली जिसमें प्रसादी ग्रहण करने वालों की बैठनें की समूचित व्यवस्था की गई थी। युगल सरकार का अलौकिक श्रंगार बंटी भैया ने किया
मोहिनी मंडल उन सभी महानुभावों का ह्रदय से आभार व्यक्त करता है जिन्होंने इस भव्य आयोजन को सफल बनाने में अप्रत्यक्ष रूप से अपनी सामर्थ के अनुरूप हमारा अतुलनीय सहयोग प्रदान किया है उत्सव में मुख्य रूप से श्री राजशेखर मिश्र, पारस जांगिड, हरिमोहन वार्ष्णेय, गोपाल वार्ष्णेय, हिमांशु, गोविंद, अंकित, अनिल कुमार, प्रबल, मनीष, मनोज, बंटी भैया, ऋषभ, अमित, ललित एवं संकीर्तन मण्डल के अन्य सदस्यों का सराहनीय सहयोग रहा।