
हाथरस 10 दिसंबर । मानवाधिकार दिवस के अवसर पर आज उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ के निर्देशन में जिला कारागार अलीगढ़ में विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया। यह शिविर जनपद न्यायाधीश विनय कुमार के आदेशानुसार, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, हाथरस के तत्वाधान में आयोजित किया गया। कार्यक्रम का मार्गदर्शन अपर जनपद न्यायाधीश एवं सचिव प्रशान्त कुमार, चीफ लीगल एड डिफेन्स काउन्सिल ऋतुराज सिंह और असिस्टेंट लीगल एड डिफेन्स काउन्सिल विजय कुमार सेंगर ने किया। कार्यक्रम में कारागार में निरूद्ध बंदियों को मानवाधिकार की उत्पत्ति, आवश्यकता और संरक्षण के महत्व के बारे में जानकारी दी गई। उन्होंने सामाजिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से संयमित, न्यायपूर्ण और सामाजिक व्यवहार अपनाने की सलाह दी। शिविर में विधिक साक्षरता और विधिक सेवाओं के बारे में भी जानकारी दी गई, ताकि नागरिक जान सकें कि किस मामले में किस अधिकारी या संस्था से संपर्क करना है और न्याय में विलम्ब होने पर अपने तथ्य एवं प्रमाण सहित शिकायत विधिक सेवा प्राधिकरण में प्रस्तुत कर सकते हैं।
डिप्टी जेलर देवदर्शन ने अपने वक्तव्य में कहा कि 10 दिसंबर 1948 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने विश्व मानवाधिकार घोषणा पत्र जारी किया, जिसे 10 दिसंबर को हर वर्ष विश्व मानवाधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस घोषणा पत्र ने मानव की बुनियादी स्वतंत्रता, समृद्धि और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित किया है। असिस्टेंट लीगल एड डिफेन्स काउन्सिल विजय कुमार सेंगर ने कहा कि भारतीय संविधान मानव अधिकारों की गारंटी देता है और इसे तोड़ने वाले को अदालत सजा देती है। भारत में 28 सितंबर 1993 से मानव अधिकार कानून लागू है और 12 अक्टूबर 1993 को राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग का गठन किया गया। आयोग के कार्यक्षेत्र में नागरिक, राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकार आते हैं, जैसे बाल मजदूरी, स्वास्थ्य, भोजन, बाल विवाह, महिला अधिकार, हिरासत में होने वाली मौत, अल्पसंख्यकों और अनुसूचित जाति व जनजाति के अधिकार। इस अवसर पर कारागार में बंदियों को मानवाधिकारों के प्रति जागरूक करने और विधिक अधिकारों की जानकारी देने का महत्वपूर्ण प्रयास किया गया।













