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हाथरस 27 दिसंबर । शैक्षणिक गुणवत्ता एवं विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए मूल्य आधारित शिक्षा प्रदान करने की दिशा में जनपद में अग्रणी सेकसरिया सुशीला देवी पब्लिक स्कूल ने भारतीय वैज्ञानिक परंपरा के महान स्तंभों को केंद्र में रखते हुए अपना भव्य एवं अविस्मरणीय वार्षिकोत्सव रंगोली 3.0 अत्यंत हर्षोल्लास के साथ मनाया। यह विज्ञान, संस्कार और सृजनात्मकता प्रेरणा उत्सव के रूप में हमेशा याद रहेगा। समारोह का शुभारंभ मुख्य अतिथि डॉ. पंकज कुमार गोस्वामी, प्रबंधक दिनेश सेकसरिया, राकेश सेकसरिया, स्कूल कमेटी चेयरमेन डॉ. बी. पी. सिंह, सचिव गौरांग सेकसरिया तथा प्रधानाचार्य डॉ. गणेश डी. पाटिल द्वारा दीप प्रज्वलन एवं माल्यार्पण के साथ किया गया। कार्यक्रम के दौरान पी.बी. सिंह, डॉ. प्रवीण शर्मा, उमा शंकर, ए.पी. सिंह, रोटरियन मुकेश आंधीवाल एवं प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट कमेटी के पदाधिकारी व अन्य सदस्य भी उपस्थित रहे। इस वार्षिक समारोह का उद्देश्य भारतीय विज्ञान के महान व्यक्तित्वों और उनके योगदान को प्रस्तुत करना तथा विद्यार्थियों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण और अनुसंधान की भावना विकसित करना था। विद्यार्थियों ने नृत्य, नाटक और गीतों के माध्यम से अपनी कला और सृजनशीलता का प्रभावशाली प्रदर्शन किया। प्रस्तुतियों में वैज्ञानिक उपलब्धियों, तकनीकी प्रगति और भारतीय वैज्ञानिक परंपरा के गौरव को स्पष्ट रूप से दर्शाया गया। इस कार्यक्रम से विद्यार्थियों में सीखने की जिज्ञासा, नवाचार, रचनात्मक सोच और वैज्ञानिक विरासत के प्रति सम्मान की भावना विकसित हुई। विज्ञान और अध्यात्म को जोड़ने वाली कृष्ण लीला तथा उसमें निहित वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित चर्चा और नृत्य विशेष रूप से आकर्षक रहे। डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम, आर्यभट्ट, विक्रम साराभाई, सतीश धवन और चाणक्य के जीवन पर आधारित नाट्य प्रस्तुतियों ने समारोह को स्मरणीय बना दिया।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एवं IQAC निदेशक डॉ. पंकज कुमार गोस्वामी ने युवाओं की विकसित भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालते हुए भारतीय ज्ञान परंपरा को वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने की सराहना की। उन्होंने आत्मविश्वास, निरंतर प्रयास और उचित प्रशिक्षण को सफलता का मूल आधार बताया। डॉ. गोस्वामी ने कहा कि विद्यालय द्वारा प्रदान किए गए ऐसे मंच विद्यार्थियों को सही दिशा दिखाते हैं और निरंतर अभ्यास तथा मार्गदर्शन से वे कठिन परिस्थितियों में समस्या समाधान और आलोचनात्मक सोच के माध्यम से भविष्य में आत्मनिर्भर और सक्षम नागरिक बनते हैं।
इस मौके पर प्रधानाचार्य डॉ. गणेश डी. पाटिल ने कहा कि विद्यालय का उद्देश्य केवल विद्यार्थियों को शैक्षणिक रूप से सशक्त बनाना ही नहीं, बल्कि उन्हें इक्कीसवीं सदी की आवश्यक क्षमताओं जैसे रचनात्मकता, नेतृत्व, संवाद क्षमता और निर्णय लेने की योग्यता से भी सुसज्जित करना है। भारतीय विज्ञान के महान व्यक्तित्वों की अवधारणा के माध्यम से विद्यार्थियों को भारत की समृद्ध वैज्ञानिक परंपरा, महान वैज्ञानिकों के योगदान और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के महत्व से जोड़ा गया है। प्रधानाचार्य ने वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए विद्यालय की शैक्षणिक प्रगति, उत्कृष्ट परीक्षा परिणामों, सहशैक्षिक गतिविधियों तथा राजकीय और राष्ट्रीय स्तर पर प्राप्त उपलब्धियों का उल्लेख किया। उन्होंने इन सफलताओं का श्रेय शिक्षकों की निष्ठा, विद्यार्थियों की मेहनत और अभिभावकों के सहयोग को देते हुए विद्यालय की एक अग्रणी शैक्षणिक संस्था के रूप में सुदृढ़ पहचान को रेखांकित किया। इस अवसर पर विद्यालय के विद्यार्थियों को उनकी विभिन्न शैक्षणिक, खेलकूद तथा अन्य कौशल संबंधी उपलब्धियों के लिए ट्रॉफी, मेडल और प्रशस्ति पत्र प्रदान किए गए।
विद्यालय सचिव गौरांग सेकसरिया ने अपने संबोधन में कहा कि संस्थान की स्थापना का उद्देश्य ऐसी शिक्षा प्रदान करना है, जो ज्ञान के साथ संस्कार, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और समाज के प्रति उत्तरदायित्व की भावना को विकसित करे। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के आयोजन विद्यार्थियों में जिज्ञासा, रचनात्मक सोच, नेतृत्व क्षमता और अनुसंधान की भावना को सुदृढ़ करते हैं, जिससे वे भविष्य की चुनौतियों का आत्मविश्वास के साथ सामना कर सकें। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि विद्यालय आगे भी विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए ऐसे शैक्षिक एवं प्रेरणादायक कार्यक्रमों के आयोजन के प्रति पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध रहेगा। कार्यक्रम का समापन शिक्षकों, कर्मचारियों तथा सभी प्रतिभागियों के समर्पण और सहयोग की सराहना के साथ हुआ।

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